पौष मास (Paush month) की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं इस एकादशी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-
एकादशी तिथि कब आरंभ हो रही है? (29 december 2021 panchang in hindi)
पंचांग के अनुसार पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि 29 दिसंबर 2021 बुधवार को दोपहर 4 बजकर 15 मिनट से आरंभ हो रही है। पौष कृष्ण मास की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत के नियमों का पालन एकादशी की तिथि के आरंभ से ही शुरु हो जाता है।
सफला एकादशी कब है? (saphala ekadashi 2021)
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi)व्रत 30 दिसंबर 2021, गुरुवार को रखा जाएगा। यह एकादशी साल की आखिरी एकादशी भी है। गुरुवार के दिन एकादशी व्रत होने के कारण इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान विष्णु की पूजा के लिए गुरुवार यानि बृहस्पतिवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। इस दिन एकादशी व्रत होने से इस दिन की जाने वाली पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होगा।
सफला एकादशी पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें। इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दूसरे दिन यानी कि 31 दिसंबर की सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेंट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें।
व्रत के दिन व्रत के सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही जहां तक हो सके व्रत के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। भोजन में उसे नमक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे आपको हजारों यज्ञों के बराबर फल मिलेगा।
सफला एकादशी का महत्व (saphala ekadashi significance)
शास्त्रों में इस एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन व्रत रखने से कार्यों में सफलता मिलती है। जिन लोगों को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। उनके लिए यह व्रत शुभफलदायी बताया गया है। एकादशी व्रत को सबसे पवित्र और कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस व्रत का वर्णन महाभारत की कथा में भी मिलता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के महामात्य के बारे में बताया था।
सफला एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त (saphala ekadashi 2021 parana time)
पंचांग के अनुसार 31 दिसंबर 2021 को प्रात: प्रात: 07 बजकर 14 मिनट से प्रात: 09 बजकर 18 मिनट तक पारण का मुहूर्त बना हुआ है। इस दिन द्वादशी तिथि के समाप्त होने का समय प्रात: 10 बजकर 39 मिनट है।