कर्नाटक में दलित युवक चंद्रू की हत्या का मामला (Karnataka Dalit Youth Muder Case) आपराधिक जांच विभाग (CID) को सौंपने के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा सरकार (Ruling BJP Govt.) और राज्य पुलिस (State Police) के बीच अनबन खुलकर सामने आने लगी है (Disagreements are Coming to the Fore) । इस घटनाक्रम के इर्द-गिर्द हुई गतिविधियों एवं घटनाओं के कारण सत्तारूढ़ सरकार को गंभीर शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है और विपक्षी दल इस घटना के संबंध में गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
भाजपा पार्टी के सूत्र बताते हैं कि चंद्रू की हत्या के मामले में पुलिस विभाग की कार्रवाई से पार्टी के नेता खुश नहीं हैं। वे आगे खुलासा करते हुए कह रहे हैं कि सीएम बसवराज बोम्मई पर बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत को स्थानांतरित करने का दबाव है।
पिछले हफ्ते बेंगलुरु के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील गोरीपाल्या में एक ‘रोड रेज की घटना’ में युवक चंद्रू की मौत हो गई थी। गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा था कि चंद्रू की हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वह उर्दू बोलना नहीं जानता था। बाद में गृह मंत्री ने माफी मांगी और अपना बयान वापस ले लिया। इस बीच छुरा घोंपने का चौंकाने वाला सीसीटीवी फुटेज सामने आया था, जिसमें पीड़ित चंद्रू का बहुत खून बह रहा था और स्थानीय लोगों द्वारा मदद नहीं की जा रही थी।
हमले से बच निकले चंद्रू के दोस्त साइमन राजू ने कहा कि उसके दोस्त को दूसरे धर्म से संबंधित होने के कारण मार दिया गया, क्योंकि वह उर्दू नहीं बोल सकता था। उन्होंने आगे कहा कि छुरा घोंपने के बाद कोई भी स्थानीय नागरिक उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया और यहां तक कि किसी ने भी पुलिस को भी सूचित नहीं किया। अगर ऐसा समय पर होता तो उसके दोस्त की जान बच सकती थी।
इस घटनाक्रम के बाद, भाजपा नेताओं ने बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत पर निशाना साधना शुरू कर दिया। बीजेपी एमएलसी रविकुमार ने आरोप लगाया है कि पुलिस कमिश्नर कमल पंत ने चंद्रू की हत्या के मामले में झूठ बोला है। उन्होंने कहा कि हत्या सांप्रदायिक कारणों से हुई थी और गृह मंत्री के पहले के बयान जिनके लिए उन्होंने माफी मांगी थी, सही थे। राष्ट्रीय महासचिव और भाजपा के वरिष्ठ नेता सी. टी. रवि ने भी घटना को लेकर रवि ने सवाल उठाए हैं।
कई कठिन परिस्थितियों में हमेशा पुलिस विभाग का बचाव करने वाले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अब पार्टी के भीतर दबाव के कारण मामला सीआईडी को सौंप दिया है।
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि सीएम बोम्मई ने मैसूर गैंगरेप मामले में पुलिस का बचाव किया था और अब उन्हें दबाव के आगे झुकना पड़ा है। बोम्मई ने रविवार को डीजी और आईजीपी प्रवीण सूद और बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर कमल पंत के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के बाद फैसले की घोषणा की।
सीएम बोम्मई ने कहा कि सच्चाई सामने लाने और निष्पक्ष जांच के लिए सीआईडी जांच की मांग की गई है। हालांकि, सीएम बोम्मई ने कहा कि राज्य पुलिस विभाग के साथ ‘विश्वास करने या न करने’ जैसा कोई सवाल ही नहीं है। यह कहते हुए कि इस वह मुद्दे को और जटिल नहीं बनाना चाहते, सीएम ने आगे कहा, “सीआईडी भी पुलिस विभाग का हिस्सा है। पुलिस या गृह मंत्री, कोई भी अक्षम नहीं हैं। मामले की उचित जांच की जाएगी।”