Breaking News

कड़ाके की ठंड में आंदोलनकारी किसानों का बढ़ता पारा, ट्रैक्टर रैली निकालने की तैयारी शुरू !

भारत में मोदी सरकार द्वारा लाए गए विवादित नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लगभग डेढ़ महीने से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों का इस गला देने वाली सर्दी में पारा बढ़ना शुरू हो गया है। 4 जनवरी की बैठक बेनतीजा रहने के बाद आंदोलनकारी किसानों  ने अब ट्रैक्टर रैली निकालने का फ़ैसला किया है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बना ही हुआ है और अभी तक कोई समाधान नज़र नहीं आ रहा है। सोमवार को दोनों पक्षों के बीच बातचीत का एक और दौर बेनतीजा रहने के बाद अब 8 जनवरी को होने वाले अगले दौर के पहले किसानों ने घोषणा की है वह 7 जनवरी को दिल्ली एनसीआर इलाक़े में एक ट्रैक्टर रैली निकालेंगे।

भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रवक्ता राकेश बैंस ने मीडिया को बताया कि रैली, बुधवार 6 जनवरी को ही निकाली जानी थी लेकिन इलाक़े में तीन दिनों से हो रही बारिश की वजह से उसे आगे बढ़ाकर गुरूवार के लिए तय कर दिया गया है।

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, रैली में क़रीब 2,500 ट्रैक्टरों के शामिल होने की संभावना है।

योजना के मुताबिक़, कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे पर 1,000 ट्रैक्टर, कुंडली बॉर्डर से टिकरी बॉर्डर की तरफ़ जाएंगे। उसी तरह, 1,000 और ट्रैक्टर दूसरी तरफ़ से बढ़ेंगे और एक्सप्रेसवे के टोल प्लाज़ा पर पहुंचकर दोनों तरफ़ के ट्रैक्टर अपने-अपने शुरूआती बिंदुओं की तरफ वापस मुड़ जाएंगे। रास्ते में दो और स्थानों से भी क़रीब 500 ट्रैक्टरों को एक्सप्रेसवे पर भेजने की योजना है।

भारतीय मीडिया का दावा है कि, आंदोलनकारी किसान यह क़दम सरकार पर दबाव बनाने के लिए उठा रहे हैं क्योंकि आंदोलन के दौरान अभी तक क़रीब 60 किसानों की मौत हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद मोदी सरकार ने उनकी मांगें अभी तक मानी नहीं हैं। माना जा रहा है कि यह रैली, 26 जनवरी 2021 को होने वाली ट्रैक्टर परेड का ट्रेलर होगी।

किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा पहले ही घोषणा कर चुका है कि अगर 26 जनवरी तक दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बनी तो किसान उस दिन गणतंत्र दिवस के मौक़े पर अपनी ही परेड निकालेंगे।

इसकी तैयारी में सात जनवरी से किसान संगठन 15 दिनों का देश जागरण अभियान शुरू करेंगे, जिसमें पूरे देश में कई स्थानों में ट्रैक्टर रैलियां निकाली जाएंगी और आंदोलन के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी। इस बीच दिल्ली में कड़ाके की ठंड और तीन दिनों से हो रही बारिश के बावजूद जहां किसान दिल्ली की सीमाओं पर अभी भी खुले आसमान के नीचे डटे हुए हैं वहीं मोदी सरकार किसानों की मांगों की अनदेखी करके विवादित नए कृषि क़ानून को किसानों के हित में बताने का लगातार प्रयास कर रही है।