सुरेंद्र सिंघल, वरिष्ठ पत्रकार.
नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं स्वतंत्र निदेशक इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड भारत सरकार जयप्रकाश तोमर ने उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर मांग की है कि वह दिल्ली की शांतिप्रिय जनता और कानून व्यवस्था के हित में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। खादी एवं ग्रामोद्योग भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य एवं प्रमुख किसान नेता जयप्रकाश तोमर ने अपने पत्र में सत्यपाल मलिक के बारे में लिखा है कि वह दिल्ली और आसपास के प्रदेशों के सीधे-साधे एवं भोली-भाली जनता को अपने निजी स्वार्थों की खातिर भड़काकर कानून व्यवस्था की विषम समस्या उत्पन्न करना चाहते हैं जो हिंसा का रूप भी ले सकती है।
तोमर ने पत्र में लिखा कि कैसे अपने लंबे राजनैतिक जीवन में सत्यपाल मलिक अपने निजी लाभ और हानि को देखते हुए व्यक्तिगत निष्ठा और राजनीतिक दलों को बदलते रहे हैं। उन्होंने लिखा कि मलिक 1974 में विधायक थे। लोकदल नेता चौधरी चरण सिंह ने उनकी पार्टी विरोधी कारगुजारियों से परेशान होकर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। चौधरी चरण सिंह को ऐसी सूचनाएं मिली थीं कि वे उनकी जासूसी कर रहे हैं और कांग्रेस को मदद पहुंचा रहे हैं। सत्यपाल मलिक कांग्रेस में शामिल हो गए और 1984 में राज्य सभा के सांसद चुने गए। 1987 में उन्होंने बोफोर्स घोटाले के बाद कांग्रेस छोड़ दी और 1988 में वीपी सिंह के साथ जनता दल में चले गए। 1989 में वह अलीगढ़ से जनता दल के लोक सभा सदस्य चुने गए।
मलिक प्रधानमंत्री वीपी सिंह के मंत्रिमंडल में संसदीय कार्य एवं पर्यटन राज्य मंत्री रहे। इसके बाद मलिक ने वीपी सिंह का भी साथ छोड़ दिया और वह 1996 में मुलायम सिंह यादव के साथ आ गए और सपा के टिकट पर अलीगढ़ से चुनाव लड़े। उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2004 में वह सपा और मुलायम सिंह दोनों को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और बागपत से भाजपा के टिकट पर लोक सभा चुनाव लड़े और हार गए। 2012 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया। 2017 में सत्यपाल मलिक बिहार के राज्यपाल नियुक्त किए गए। 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के पद पर स्थानांतरित कर दिया गया। पुलवामा हमले की पूरी जिम्मेदारी राज्यपाल सत्यपाल मलिक की थी।
क्योंकि राज्यपाल यूनिफाइड कमांड का चेयरमैन होता है। जिसके अधीन केंद्रीय एवं प्रांतीय एजेंसी होती हैं। उनके समन्वय की जिम्मेदारी भी उन्हीं की थी लेकिन अपने नाकारापन और अयोग्यता को छिपाने के लिए उन्होंने सरकार के विरूद्ध बयानबाजी की और अपनी जाट बिरादरी के खाप और किसानों का नाम लेकर अपने स्वार्थ में अनर्गल बयानबाजी की। सत्यपाल मलिक फिर कोई नई राजनैतिक पैंतरेबाजी की फिराक में लगे हैं। आज उनका सामाजिक या किसी भी प्रकार का काम बिरादरी और क्षेत्र के लिए नहीं है। लेकिन वे अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए उसका इस्तेमाल करने में लगे हैं जिससे दिल्ली का अमन चैन बिगड़ने की आशंका है। ऐसी सूरत में दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें और सत्यपाल मलिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।