शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है. वह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं. ज्योतिष शास्त्र में शनि को एक कठोर ग्रह माना गया है और यही कारण है कि लोग शनि का नाम सुनते ही डर जाते हैं. शनि से डरने का एक कारण ये भी है कि जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या होती है वह लोग परेशान हो जाते हैं. मगर जिन पर शनि शुभ होते हैं उनको तो लाभ ही लाभ मिलता है. कुल मिलाकर शनि का फल व्यक्ति के कर्मों पर आधारित होता है. अच्छे कर्म करने वाले लोगों को शनि कभी परेशान नहीं करते.
शनि की ढैय्या
शनि कठोग स्वभाव के हैं और सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलते हैं. शनि एक राशि से दूसरे राशि में जाने में सबसे ज्यादा समय लेते हैं और इसी कारण इसे शनि की ढैय्या कहते हैं. फिलहाल तो दो राशियों मिथुन और तुला पर शनि की ढैय्या है.
शनि की साढे़साती
शनि की साढ़ेसाती जिस पर होती है उसके बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं. लेकिन कुछ उपायों से शनि के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है. इस समय धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती है.
तुला राशि में उच्च, मेष में नीच
शनि ग्रह कोआयु, पीड़ा और तकनीकी का कारक माना गया है. जब कुंडली में शनि अशुभ होते हैं तो हर कार्य में मुश्किलें आती हैं. कई बार तो बनता हुआ काम भी बिगड़ने लगता है. वहीं जिनकी कुंडली में शनि शुभ होते हैं उन्हें रंक से राजा बनने में देर नहीं लगती. शनि तुला राशि में उच्च और मेष राशि में नीच माने गए हैं. इसके अलावा शनि उन लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं करते जो जरूरतमंद लोगों को नीचा दिखाते हैं और मदद नहीं करते. इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करें.
कैसे करें शनि को शांत
शनि को शांत रखना बहुत जरूरी है वरना जीवन मुश्किलों से भर जाता है. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए और समय-समय पर कुछ उपाय भी करने चाहिए. जैसे कि शनिवार का दिन विशेष रूप से शनिदेव का है इसलिए इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करें और काली उड़द का दान करें. गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करें. सर्दी के मौसम में कंबल बांटे और बारिश के मौसम में छाते का दान करना उत्तम माना गया है. ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाने से शनि की टेढ़ी नजर से बचा जा सकता है.