इंडोनेशिया के पूर्वी हिस्से में मूसलाधार बारिश से बाढ़ और भूस्खनल आ गया, जिसमें 55 लोगों की मौत हो गई है. मूसलाधार बारिश की वजह से हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है, जबकि 40 से अधिक लोग लापता हो गए हैं. देश की आपदा राहत एजेंसी ने इसकी जानकारी दी है. पूर्वी नुसा तेंगगारा प्रांत के अडोनारा द्वीप पर आधी रात के बाद लामनेले गांव के दर्जनों घरों पर आसपास की पहाड़ियों से कीचड़ नीचे गिरने लगा. स्थानीय आपदा एजेंसी के प्रमुख लेनी ओला ने कहा कि कीचड़ में से बचावकर्मियों ने 38 शवों को बाहर निकाला है, जबकि भूस्खलन की इस घटना में पांच लोग जख्मी हैं.
वहीं, नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन एजेंसी के मुताबिक, अचानक आई बाढ़ के चलते 17 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 42 लोग लापता हुए हैं. एजेंसी ने कहा कि बिजली गुल होने, कीचड़ की मोटी परत के साथ-साथ एक दूरस्थ इलाके में हुई इस घटना के चलते राहत कार्य प्रभावित हुआ है. स्थानीय आपदा एजेंसी के प्रमुख लेनी ओला ने कहा कि ओयांग बयांग गांव में बाढ़ के चलते कई लोग बह गए. तीन लोगों के शव को कीचड़ से बरामद कर लिया गया है, जबकि 40 घर भी इस घटना में क्षतिग्रस्त हुए हैं. इलाके के सैकड़ों घर बाढ़ के पानी में डूब गए हैं. इस कारण लोगों को इन्हें छोड़कर जाना पड़ा है.
ओला ने कहा कि वायबुरक गांव में रात भर हुई मूसलाधार बारिश से नदी का जलस्तर बढ़ गया और इसका पानी गांव में घुस आया. यहां तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि सात लोग लापता हो गए. घटना में चार लोग घायल भी हुए हैं, जिनका स्थानीय क्लीनिक में इलाज चल रहा है. नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन एजेंसी ने बताया कि बारिश की वजह से सोमवार सुबह तक मरने वालों की संख्या 55 तक पहुंच गई. बारिश के चलते ज्वालामुखी का लावा ठंडा हो गया और इली लेवोटोलोक ज्वालामुखी की ढलान कीचड़ के रूप में नीचे गिर गई. इससे कई गांव प्रभावित हुए. एजेंसी ने बताया कि लेंबाता द्वीप पर आई आपदा में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 16 लोग ठंडे लावा के नीचे दबे हुए हैं. नवंबर में ज्वालामुखी में हुए विस्फोट के बाद लावा बाहर निकला था. वहीं, अब बारिश से ये ठंडा होकर कीचड़ में तब्दील हो गया. अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन की वजह से कम से कम छह गांव प्रभावित हुए हैं. राहत-एवं बचाव का कार्य जारी है.