अमेरिका के साथ जारी तनाव के बीच रूस ने आर्कटिक के इलाके में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है। हाल में ही रूस ने आर्कटिक में एक सैन्य अभ्यास किया, जिसमें रूसी नौसेना की तीन बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस परमाणु पनडुब्बियों ने हिस्सा लिया था। इन पनडुब्बियों का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ये मिसाइलें आर्कटिक की कई फुट मोटी बर्फ की चादर फाड़ते हुए एकसाथ बाहर निकलती दिखाई दे रही हैं। ऐसा पहली बार है जब इन पनडुब्बियों का सार्वजनिक प्रदर्शन किया गया है।
इससे पहले ये पनडुब्बियां इस इलाके में गश्त तो करती थीं, लेकिन कभी भी सरफेस पर आकर अपनी उपस्थिति को सार्वजनिक नहीं किया था। रूसी नौसेना के कमांडर इन चीफ एडमिरल निकोलाई इवमेनोव ने रूसी आर्म्ड फोर्सेज के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बताया कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक साथ तीन न्यूक्लियर पॉवर्ड मिसाइल कैरियर पनडुब्बियां बर्फ को चीरकर सतह पर आईं हैं। इससे पहले ये पनडुब्बियां इस इलाके में गश्त तो करती थीं, लेकिन कभी भी सरफेस पर आकर अपनी उपस्थिति को सार्वजनिक नहीं किया था। 26 मार्च को रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस घटना का वीडियो जारी कर आर्कटिक इलाके में अपने नौसैनिक युद्धाभ्यास की जानकारी दी।
उन्होंन बताया कि एक साथ तीन परमाणु पनडुब्बियों का आर्कटिक में सतह पर आना उमका-2021 नौसैनिक अभ्यास का हिस्सा है। हालांकि, रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि 20 मार्च से शुरू हुए इस युद्धाभ्यास में किस तरह की परमाणु पनडुब्बियां हिस्सा ले रही हैं। वीडियो के आधार पर विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सतह पर दिखाई दे रही दो पनडुब्बियां डेल्टा सिक्स क्लास की हैं। इन्हें प्रोजक्ट 667बीडीआरएम डाल्फिन्स के नाम से भी जाना जाता है। बाकी की एक बोरी क्लास की किन्याज व्लादिमीर बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी बताई जा रही है।
अपने क्लास की यह अकेली पनडुब्बी है, जो इस समय रूसी सेना में कमीशन है। बोरी क्लास की पनडुब्बियां रूस की सबसे उन्नत बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं। रूस की डेल्टा सिक्स और बोरी क्लास की परमाणु पनडुब्बियां बेहद ही खतरनाक हैं। ये दोनों पनडुब्बियां 8000 किमी दूरी तक मार करने वाली 16 आरएसएम-56 बुलावा मिसाइलों को फायर कर सकती हैं। यह मिसाइल इतनी घातक है कि इतनी दूरी तय करने के बावजूद 120 से 350 मीटर की एक्यूरेसी से अपने टारगेट को हिट कर सकती है। इसके अलावा ये पनडुब्बियां 6 से 10 मल्टीपल इंडिपेंडेंट रीएंट्री व्हीकल्स (एमआईआरवी) से लैस की जा सकती हैं। जिनमें न्यूक्लियर वॉरहेड तक लगाया जा सकता है।