जिस अयोध्या के सहारे भाजपा ने प्रदेश की सत्ता हासिल की है। उसी अयोध्या को मंत्रिमंडल में नजरअंदाज कर दिया गया। जनपद वासियों ने तीन विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचाया, लेकिन नतीजा यह रहा कि जीत की हैट्रिक लगाने वाले भाजपा विधायक रामचन्द्र यादव तक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई।शपथ ग्रहण खत्म होने तक लोग टकटकी लगाए टेलीविजन निहारते रहे, लेकिन यहां के जनप्रतिनिधियों पर सरकार का भरोसा न देखकर काफी निराशा हुई है।
रुदौली विधानसभा से बंपर वोट व दिग्गजों को हराकर रामचंद्र यादव ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए मंत्री पद की दावेदारी प्रबल कर ली थी। अयोध्या में भी चर्चाएं तेज थीं कि 40 हजार वोटों से जीत दर्ज कर रामचंद्र ने बड़ा मुकाम हासिल किया है, लेकिन लखनऊ में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान रामचंद्र को जगह नहीं मिली।
दूसरे नंबर पर खासमखास अयोध्या सीट से वेद प्रकाश गुप्ता भी दावेदारों की लाइन में थे, लेकिन इन पर भी भाजपा के शीर्ष नेताओं ने भरोसा नहीं जताया, जबकि सपा नेता तेज नारायण पांडे पवन को अयोध्या सीट पर इस बार भाजपा के लिए कड़ी चुनौती थी, लेकिन जनता जनार्दन ने भाजपा प्रत्याशी को जिताकर यह बता दिया था कि यह सीट सिर्फ भाजपा की ही है।
इसके बावजूद पार्टी ने अयोध्या से एक भी प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी। इसे लेकर लोगों में खासी निराशा है। सिविल लाइंस निवासी अवधेश पांडे ने कहा कि अयोध्या से किसी को भी मंत्री पद न मिलने से काफी असंतुष्ट हूं।
रुदौली निवासी अजय तिवारी ने कहा कि रामचंद्र को मंत्री पद मिलना चाहिए था। भाजपा के लिए प्रतिष्ठापूर्ण अयोध्या विधानसभा सीट से जीते प्रत्याशी को भी मंत्री न बनाए जाने पर यहां लोगों को निराशा हुई है।
पवन पांडे को पहली बार ही मिला था राज्यमंत्री पद
2012 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी तेज नारायण पांडे पवन ने भाजपा का विजय रथ रोक दिया था। उस दौरान पवन ने अयोध्या में भाजपा से पांच बार से विधायकी जीत रहे लल्लू सिंह को हरा दिया था। इसके बाद प्रदेश में सपा की सरकार बनते ही पवन पांडे को राज्यमंत्री का दर्जा मिला था।