वाहनों के पंजीकरण शुल्क में बढ़ोतरी की गई है। इसमें दोपहिया से लेकर कार और ट्रक समेत सभी वाहनों की कीमतों में भी इजाफा हो जाएगा। यह शुल्क प्राइवेट वाहन की खरीद के समय एकमुश्त लिया जाता है, जबकि व्यावसायिक में त्रैमासिक से लेकर वार्षिक टैक्स तक भरना होता है। इस फैसले का ट्रांसपोर्ट कारोबारियों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे महंगाई बढ़ेगी।
प्रदेश में बढ़ा हुआ पंजीकरण शुल्क 21 अप्रैल से लागू किया है। इसके लिए 20 अप्रैल की रात को ही टैक्स के सभी चैनल बंद कर दिए गए थे। एनआईसी नए टैक्स स्लैब के मुताबिक पोर्टल में बदलाव कर रहा है। बुधवार से सभी वाहन डीलर्स के यहां से गाड़ी खरीदने पर नए टैक्स स्लैब के मुताबिक पंजीकरण शुल्क लगेगा।
प्राइवेट वाहनों का ये होगा टैक्स स्लैब
40 हजार रुपये तक की कीमत के दोपहिया – – 7 फीसदी
40 हजार रुपये से अधिक कीमत के दोपहिया – 10 फीसदी टैक्स
10 लाख तक के दोपहिया से भिन्न मोटरयान – 8 फीसदी
10 लाख तक के मोटर यान (वातानुकूलित) – 9 फीसदी
10 लाख से अधिक के दोपहिया से भिन्न मोटरयान -11 फीसदी
यानों से खींचे जाने वाले ट्रेलर – दो फीसदी
व्यावसायिक वाहनों में टैक्स का निर्धारण
व्यावसायिक वाहनों में ट्रक आदि का टैक्स त्रैमासिक जमा किया जाता है, जबकि बस का मासिक या वार्षिक परमिट के मुताबिक टैक्स लिया जाता है। इसका सीधा असर व्यावसायिक वाहनों के मालिकों पर पड़ेगा। व्यावसायिक वाहनों में टैक्स प्रति टन भार के हिसाब से लिया जाता है।
दोपहिया व्यावसायिक – 200 रुपये प्रति टन
एक हजार किलो तक के यान- 1000 रुपये प्रति टन
एक हजार से अधिक 5 हजार किलो तक – 2000 रुपये
पांच हजार किलो से अधिक के यान- 3000 रुपये
यह बोझ बढ़ाने वाला फैसला
आगरा गुड्स कैरियर के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि व्यावसायिक वाहनों पर टैक्स बढ़ाने से ट्रांसपोर्टर्स का नुकसान होगा। भाड़ा भी बढ़ाना पड़ सकता है। इसका सीधा असर आम जनता पर ही पडे़गा। सरकार का यह फैसला बोझ बढ़ाने वाला है।
इससे बढ़ेगी महंगाई
एआईएमटीसी के सह प्रवक्ता वीरेंद्र गुप्ता का कहना है कि आल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने टैक्स बढ़ाने का विरोध किया है। इससे महंगाई बढ़ेगी। व्यावसायिक वाहनों का टैक्स समय समय पर जमा कराना होता है। यह व्यावहारिक नहीं है।