पंचांग के अनुसार, इस साल 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि का ये पावन पर्व 26 सितंबर से शुरू होकर 04 अक्टूबर तक रहेगा। वहीं 05 अक्टूबर को दशहरा है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां जगदंबे के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। भारत में सदियों से नवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से नवरात्रि के पर्व को मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। कहीं कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर नवरात्रि मनाते हैं, तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। लेकिन शारदीय नवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है इसके बारे में कम लोगों को पता होगा।
मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का वध
नवरात्रि का पर्व मनाए जाने के पीछे कई तरह की मान्यता है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, महिषासुर नाम का एक दैत्य था। ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान पाकर वह देवताओं को सताने लगा था। महिषासुर के अत्याचार से परेशान होकर सभी देवता शिव, विष्णु और ब्रह्मा के पास गए। इसके बाद तीनों देवताओं ने आदि शक्ति का आवाहन किया। भगवान शिव और विष्णु के क्रोध व अन्य देवताओं से मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो नारी के रूप में बदल गया। अन्य देवताओं ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इसके बाद देवताओं से शक्तियां पाकर देवी दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा। महिषासुर और देवी दुर्गा का युद्ध शुरू हुआ, जो 9 दिनों तक चला। फिर दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। मान्यता है कि इन 9 दिनों में देवताओं ने रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया। तब से ही नवरात्रि का पर्व मनाने की शुरुआत हुई।
भगवान राम से भी जुड़ी है मान्यता
नवरात्रि की एक कथा प्रभु श्रीराम से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने और रावण पर विजय पाने के लिए श्री राम ने देवी दुर्गा का अनुष्ठान किया। ये अनुष्ठान लगातार 9 दिन तक चला। अंतिम दिन देवी ने प्रकट होकर श्रीराम को विजय का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन श्रीराम ने रावण का वध कर दिया। प्रभु श्रीराम ने आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक देवी की साधना कर दसवें दिन रावण का वध किया था। तभी से हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।