प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का जलवा अमेरिका (America) में भी है। यूएस कांग्रेस (US Congress) के संयुक्त सत्र को जब वह संबोधित कर रहे थे तो इसकी कई झलकियां दिखीं। उनके संबोधन के दौरान करीब 75 मौके ऐसे आए जब अमेरिकी संसद के सांसदों ने ताली बजाकर (75 occasions US parliamentarians clapped) उनके बयान का स्वागत किया। इसके अलावा करीब 15 मौके ऐसे आए जब खड़े होकर उनका अभिनंदन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऑटोग्राफ (autograph) लेने के लिए उनमें एक होड़ से मची हुई थी। हर कोई उनके साथ या तो सेल्फी (selfie) लेना चाहता था या फिर तस्वीरें खिंचवाना चाहता था। पीएम मोदी (PM Modi US Visit) ने भी उन्हें निराश नहीं किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के दौरान मोदी-मोदी के नारों की गूंज भी सुनाई दे रही थी। ‘मोदी-मोदी’ के नारों और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मोदी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम मेधा) में काफी तरक्की हुई है लेकिन साथ साथ ही एक अन्य एआई यानि भारत-अमेरिका के रिश्तों में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
करीब एक घंटे के अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि अमेरिका का लोकतंत्र सबसे पुराना है और भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लिहाजा दोनों देशों की साझेदारी लोकतंत्र के भविष्य के लिए अच्छी है। उन्होंने कहा, ”दुनिया के लिए बेहतर भविष्य और भविष्य के लिए बेहतर दुनिया के लिए यह अच्छी है।”
रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ”यह युद्ध का युग नहीं है, बल्कि यह संवाद और कूटनीति का युग है और हम सभी को रक्तपात और मानवीय पीड़ा को रोकने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करना चाहिए। वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सम्मान, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है।”
पीएम मोदी ने कहा कि अमेरिका ने दुनिया भर के लोगों को गले लगाया है और उन्हें अमेरिकी सपने में समान भागीदार बनाया है। उन्होंने कहा कि यहां लाखों लोग हैं जिनकी जड़ें भारत में हैं और उनमें से कुछ यहां इस कक्ष में गर्व से बैठते हैं। उन्होंने इस क्रम में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का भी उल्लेख किया। भारतीय लोकतंत्र और उसकी विविधता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि गुलामी के लंबे कालखंड के बाद भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्षों की उल्लेखनीय यात्रा का जश्न मना रहा है और यह न केवल लोकतंत्र का उत्सव है बल्कि इसकी विविधता का भी उत्सव है।