मेरठ के प्राइवेट अस्पतालों ने पैसा कमाने के लिए मानवीय संवेदनाओं को किस कदर कुचला है, इसकी बानगी मेरठ के कमिश्नर ऑफिस के सामने देखने को मिली. जहां एक बेबस बूढ़ी नानी रोती बिलखती अपने नवजात नवासे की लाश लिए पहुंची. नानी सलमा ने रोते हुए आरोप लगाया कि उसकी बेटी को प्रसव पीड़ा हुई थी, जिसके बाद उसे हापुड़ रोड स्थित एक निजी नर्सिग होम में भर्ती कराया. लेकिन अस्पताल ने एक वार्ड बॉय को डॉक्टर बताकर डिलीवरी करवा दी. परिवार का आरोप है कि लापरवाही की वजह से नवजात की जान चली गई. इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन ने नवजात की मां को भी बंधक बना लिया है.
परिवार ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने एडवांस में ही 20 हजार रुपये जमा करवा लिए थे. इसके बाद भी वो परिजनों से मोटे पैसे की डिमांड कर रहे हैं. वहीं डिलीवरी के बाद महिला की हालत चिंताजनक बनी हुई है. हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता भी इस मामले को लेकर कमिश्नर और एसएसपी कार्यालय पहुंचे मगर कोई अधिकारी नहीं मिला.
जिसके बाद पीड़ित परिजनों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एक प्रार्थना पत्र लिखा. उन्होंने पत्र में बताया है कि 8 सितंबर को उन्होंने गुलशन नाम की महिला को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था लेकिन अस्पताल प्रशासन ने वार्ड बॉय को ही डॉक्टर बताकर डिलीवरी करा दी.
डिलीवरी के बाद महिला की हालत चिंताजनक बनी हुई है और अस्पताल प्रबंधन मोटी रकम की मांग कर रहा है. परिजनों का आरोप है अस्पताल प्रशासन ने मृतक बच्चे को तो सौंप दिया लेकिन महिला को बंधक बना कर रखा है. परिजनों के मुताबिक उन्होंने वार्ड बॉय से डिलीवरी करवाने का विरोध किया था. इसी वजह से अस्पताल प्रशासन ने उनके साथ मारपीट की और उन्हें बाहर निकाल दिया. परिजनों ने सीएमओ से अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की मांग की है. इस मामले में मेरठ के सीएमओ डॉक्टर राजकुमार ने पूरी जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि इस मामले में अगर निजी अस्पताल की लापरवाही सामने आएगी तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. इस मामले में अगर पुलिस की भी जरूरत पड़ी तो उनका भी साथ लिया जाएगा. फिलहाल सीएमओ ने इस पूरे मामले में जांच के आदेश दिए हैं.