उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा (Agra) में फतेहाबाद कस्बे (Fatehabad Town) से 80 दिन पहले लापता (Missing) हुए आठ साल के बच्चे अभय प्रताप (Abhay Pratap) की हत्या का सनसनीखेज खुलासा हुआ है. अपहरण के कुछ ही घंटों बाद अभय की बेरहमी से गला दबाकर हत्या कर दी गई थी और शव को राजस्थान ले जाकर जमीन में गाड़ दिया गया था. इस जघन्य वारदात को अंजाम किसी और ने नहीं, बल्कि अभय के घर के पास रहने वाले दो युवकों ने ही दिया.
आरोपियों का नाम कृष्णा उर्फ भजन लाल और राहुल है. दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अभय प्रताप का शव शनिवार को राजस्थान के मनिया थाना क्षेत्र में एक प्लास्टिक के बोरे में दबा हुआ मिला. पुलिस के अनुसार, इस पूरे मामले में 80 लाख रुपये की फिरौती का मकसद था. चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी राहुल मृतक अभय के घर के ठीक सामने रहता था.
वहीं कृष्णा का घर भी कुछ ही दूरी पर है. 30 अप्रैल को एक शादी समारोह के दौरान, आरोपियों ने अभय को बहला-फुसलाकर अपनी स्कूटी पर बैठा लिया. रास्ते में वो रोने लगा और अपने माता-पिता के पास जाने की जिद करने लगा. फिर दोनों आरोपियों ने निर्दयतापूर्वक उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी. इसके बाद आरोपियों ने उसकी लाश एक प्लास्टिक के बोरे में भरकर स्कूटी में रखी और राजस्थान के मनिया की ओर ले गए.
वहां एक सुनसान जगह पर गड्ढा खोदकर मासूम की लाश को जमीन में दबा दिया. इसके बाद वो सामान्य व्यवहार करते हुए अपने घरों को लौट आए, जिससे किसी को उन पर शक न हो. कृष्णा का जनसेवा केंद्र अभय के घर से चंद कदमों की दूरी पर है और वह अक्सर पुलिसकर्मियों से भी सामान्य बातचीत करता था, जो बच्चे की तलाश में वहीं बैठते थे. राहुल भी रोजाना अपने वेल्डिंग के काम पर जाता था.
अपहरण के कुछ घंटों बाद ही बच्चे की हत्या कर देने के बावजूद, आरोपियों ने परिवार को फिरौती वसूलने के लिए करीब चार बार पत्र भेजे, जिनमें 80 लाख रुपये तक की मांग की गई. यही फिरौती के पत्र पुलिस के लिए महत्वपूर्ण सुराग साबित हुए. परिजनों और स्थानीय लोगों ने जब पत्रों को पढ़ा, तो उनमें इस्तेमाल किए गए कुछ शब्द कृष्णा की बोलचाल की भाषा से मेल खाते थे.
कृष्णा कई वर्षों तक बाहर रहने के बाद हाल ही में क्षेत्र में जनसेवा केंद्र चला रहा था. पुलिस की मानें तो आरोपी दो महीने से इस वारदात की योजना बना रहे थे. कृष्णा अक्सर बच्चे को टॉफी देता था और उससे बात करता था, ताकि बच्चा उसके साथ घुल-मिल जाए. मृतक अभय के दादा ने हाल ही में अपनी जमीन बेची थी, जिसकी जानकारी आरोपियों को थी.
उन्हें पता था कि परिवार के पास पैसे हैं, इसलिए उन्होंने फिरौती वसूलने का यह शातिर जाल बुना. विजय प्रकाश का बेटा अभय प्रताप कक्षा एक का छात्र था. 30 अप्रैल की शाम लगभग चार बजे वह अपने घर के पास से लापता हो गया था, जिसके बाद फतेहाबाद थाने में अज्ञात के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कराया गया था. पुलिस की कई टीमें लगातार अभय की तलाश में जुटी थीं.
फिरौती के पत्रों के बाद पुलिस ने अपनी जांच की दिशा बदलते हुए संदिग्धों की कॉल डिटेल और लोकेशन खंगालनी शुरू की, जिसके आधार पर अंततः अभय का शव बरामद किया गया और हत्यारों को गिरफ्तार किया गया. यह घटना एक बार फिर बच्चों की सुरक्षा और पड़ोसियों पर विश्वास जैसे गंभीर मुद्दों पर चिंता बढ़ाती है. इस मामले में पुलिस की तत्परता और फिरौती के पत्रों से मिले सुरागों ने अपराधियों को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई.