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NASA यूनिवर्स के अद्भुत रहस्य जानने के लिए सुपरनोवा की करेगा स्टडी

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) इस समय एक नई जनरेशन वाले टेलीस्कोप को विकसित कर रही है. इस टेलीस्कोप के जरिए हजारों सुपरनोवा (किसी तारे के भयंकर विस्फोट) को देखा जाएगा. इस तरह के विशलेषण के बाद अंतरिक्षयात्री यूनिवर्स से जुड़े कई रहस्यों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे. इससे हमारे यूनिवर्स के अतीत और वर्तमान की जानकारी मिलेगी. इससे पहले टेलीस्कोप का नाम वाइड फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे टेलीस्कोप (Wide Field Infrared Survey Telescope) था, जिसे अब नैंसी ग्रेस रोमन स्पेस टेलीस्कोप (Nancy Grace Roman Space Telescope) के नाम से जाना जाता है. ये नाम नासा के पहले चीफ ऑफ एस्ट्रोनॉमी के नाम पर रखा गया है.

सुपरनोवा के सर्वे से इस बात का पता भी चलेगा कि यूनिवर्स कितनी तेजी से फैल रहा है (Supernova NASA Explosion Study). इसके साथ ही डार्क मैटर की जांच करने के तरीके के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जिसका अभी केवल गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण ही पता लग पाता है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, इस मिशन का पहला उद्देश्य सुपरनोवा के जरिए डार्क मैटर की जानकारी एकत्रित करना है. दरअसल हमारे अंतरिक्ष का 95 फीसदी हिस्सा डार्क मैटर और डार्ट एनर्जी से बना है. बाकी का पांच फीसदी भौतिक पदार्थों से बना है (Dark Matter and Dark Energy). जिसमें ग्रह, नक्षत्र और तारे शामिल हैं.

इन्हें हम देख सकते हैं और इनके बारे में हमें जानकारी भी है लेकिन बाकी के 95 फीसदी को देखा नहीं जा सकता है. इसे ही डार्क मैटर कहते हैं (Dark Matter Study). वैज्ञानिकों का कहना है कि इसी डार्क एनर्जी ने पूरे यूनिवर्स को बांधकर रखा है. डार्क मैटर को देख पाना इसलिए भी संभव नहीं है क्योंकि ये जिन पदार्थों से मिलकर बना है, वह प्रकाश को सोख, छोड़ और परावर्तित नहीं करते.

अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया में स्थित नासा के जेट प्रोपल्सन लैब के वरिष्ठ रिसर्च वैज्ञानिक जेसन रोड्स का कहना है, ‘यूनिवर्स का अधिकतर हिस्सा डार्क एनर्जी से बना है, लेकिन हमें नहीं पता कि ये क्या है (Supernova NASA Explosion Study).’ रोमन टेलीस्कोप से डार्क एनर्जी और मिशन से जुड़ी अन्य जानकारी मिलेगी. ये टेलीस्कोप डार्क मैटर की जानकारी के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करेगा. जिनमें से एक तरीका सुपरनोवा का अध्ययन करना है (Dark Matter Study). इसके साथ ही ये समझने में भी आसानी होगी कि यूनिवर्स के इतिहास के साथ डार्क एनर्जी में कैसे बदलाव हो रहा है.