लद्दाख सीमा विवाद पर तनाव की स्थिति कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच कार्प स्तर की बैठक होने जा रही है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में लेफ्टिनेंट जनरल के अधिकारी मौजूद रहेंगे। वहीं भारतीय सेना भी चीन के साथ बैठक करने के लिए तैयार है। हालांकि अभी इस बैठक की तारीख तय नहीं की गई है, कि कब यह वार्ता होनी है। लेकिन सूत्र ऐसा कह रहे हैं कि अगले सप्ताह के शुरूआत मंगलवार को यह कार्प स्तर की बैठक हो सकती है। वहीं इस बैठक को लेकर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं, अगर चीनी सेना के साथ भारतीय सेना के विचार मेल खाते हैं तो इसके परिणाम जमीनी स्तर पर भी देखे जाएंगे। कहा जा रहा है कि पांच सूत्रीय सहमति के अनुरूप सेना ने वार्ता के लिए अपनी रणनीति तैयार की है। बता दें कि इस बैठक में भारतीय सेना पैंगोंग लेक और रेजांगला का मुद्दा उठा सकती है। चूंकि चीन लगातार पैंगोंग झील के पास से घुसपैठ करता आया है, हाल ही में 29-30 अगस्त की रात भी चीनीयों ने इसी इलाके से घुसपैठ की थी, हालांकि भारतीय सेना ने उनके मंसूबे कामयाब नहीं होने दिए थे।
रक्षा सूत्रों का कहना है कि कार्प स्तर की होने वाली इस बैठक में काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि विदेश मंत्रियों की बैठक में जो सहमति बनी है, उसे लेकर चीन ने अपनी सेना को क्या निर्देश दिए हैं। अगर चीनी सेना विदेश मंत्रियों की बैठक में तय बिन्दुओं के अनुरूप आगे बढ़ती है तो सार्थक नतीजा निकल सकता है।
हालांकि इससे पहले भी कई दौर की कार्प कमांडर स्तर की वार्ता हुई हैं, जिनमें चीन सहमति तो प्रकट करता है लेकिन जब उस पर अमल करने की बात आती है तो वह मुकर जाता है। यही ड्रैगन के दोगलेपन को दर्शाता है।
सूत्रों ने कहा कि अगले सप्ताह होने वाली बैठक में सीधे पैंगोंग पर बात होगी। चूंकि टकराव वाले पैंगोंग लेक क्षेत्र में चीन लगातार अपनी सेना की संख्या बढ़ा रहा है, जबकि इससे पहले हुई कोर कमांडर की बैठक में शर्त यह थी कि वह
फिंगर-2 से पीछे हटे क्योंकि फिंगर-2 पर भारत अप्रैल में भी काबिज था। वहीं सेना ने कहा कि हाल के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर सेना ने जो बढ़त हासिल की है, उसका भी चीन पर मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ा है वहीं पीछे हटने के अलावा उसके पास विकल्प नहीं है।