भारत और चीन की तनावपूर्ण स्थिति को कम करने के लिए छठीं बार कमांडर लेवर की बैठक हुई। बैठक सोमवार की सुबह तकरीबन 10 बजे शुरू हुई और देर रात तक चली। चीन के साथ बातचीत करने वाले ऑफिसर शीर्ष अधिकारियों को बातचीत का पूरा ब्योरा भेजेंगे। दोनों देशों के बीच लगभग 13 घंटे तक बैठक चली।
इस दौरान भारत की ओर से बैठक में सख्त रुख अपनाया गया। बैठक में भारत की ओर से मांग रखी गई है कि चीन को सभी विवादित प्वाइंट से तुरंत पीछे हटना चाहिए। साथ ही सेना को पीछे हटाने की शुरुआत चीन ही करे, क्योंकि विवाद को बढ़ावा भी उसने ही दिया है।
करीब 13 घंटे से अधिक तक चली इस बैठक में भारत ने चीन के सामने इन मुख्य बिंदुओं पर बात की :-
• चीन लद्दाख सीमा पर सभी विवादित प्वाइंट्स से पीछे हटे।
• लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से दोनों ओर से सेना को पीछे हटाने का रोडमैप तैयार किया जाए, जिस पर आगे बढ़ा जाए।
• चीन ने पहले नियम तोड़े थे, ऐसे में सैनिकों को पीछे हटाने की शुरुआत चीन करे और फिर भारत उसे फॉलो करेगा।
• पैंगोंग त्सो फिंगर इलाकों से तुरंत चीनी सेना पीछे हटे। हॉटस्प्रिंग, देपसांग का मसला भी भारत ने बैठक में उठाया।
सोमवार सुबह करीब 10 बजे ये बैठक शुरू हुई थी, जो देर रात तक चलती रही। अब मंगलवार को यानि कि आज एक बार फिर दोनों देशों की सेना के कोर कमांडर आमने-सामने हो सकते हैं। ऐसे में इस विवाद को निपटाने के लिए लगातार बातचीत करने की कोशिश जारी रहेगी। भारत की ओर से दो टूक कह दिया गया है कि अगर चीन पूरी तरह से वापस जाने और पहले जैसी स्थिति बहाल नहीं करेगा, तो भारतीय सेना लॉन्ग हॉल के लिए तैयार है। यानि सर्दियों में भी भारतीय सेना सीमा पर डटी रहेगी।
हालांकि बातचीत के दौरान भारत की की बातें चीन को समझने में परेशानी हो रही थी। इस परेशानी का कारण थी भाषा। चीनियों की अंग्रेजी भी बहुत कमजोर होती है इसलिए उनसे इस भाषा से भी बात नहीं हो पाती। इस दौरान ट्रांसलेटर मौजूद रहे। आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों में भारत ने कुछ पहाड़ियों पर कब्जा किया है, जो सामरिक दृष्टि से काफी अहम हैं। यही कारण है कि बातचीत की टेबल अब घूम चुकी है और भारत अपनी शर्तों पर मसले को आगे बढ़ा रहा है। ये तनाव मई से जारी है और अगस्त के बाद एक बार फिर चरम पर पहुंचा है।