राजस्थान (Rajasthan) के अजमेर (Ajmer) स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Hasan Chishti) की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए एक वाद स्थानीय अदालत में दायर किया गया है। जिसके बाद अदालत ने बुधवार को वाद को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) (Archaeological Survey of India (ASI), दिल्ली को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। अब इस मामले में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Pandit Dhirendra Shastri) का बयान भी सामने आया है।
एक टीवी चैनल से बात करते हुए बाबा बागेश्वर ने कहा कि ‘भगवान की कृपा है सब मंगल-मंगल हो रहा है, हिंदुत्व के प्रति सकारात्मक समय आ रहा है, अगर वहां भी शिव मंदिर है तो प्राण प्रतिष्ठा होगी, रुद्राभिषेक होना चाहिए।’ बता दें कि धीरेंद्र शास्त्री अपने कट्टर हिंदुत्ववादी विचारों के लिए ही जाने जाते हैं। फिलहाल वे हिंदुओं में जात-पात को मिटाने के लिए सनातन हिंदू एकता पदयात्रा पर निकले हुए हैं। जो कि 29 नवंबर को ओरछा में खत्म होगी।
इस यात्रा के दौरान हाल ही में उन्होंने कहा था कि गजवा-ए-हिंद या भगवा-ए-हिंद जो होना है जल्दी हो जाए। वह आरपार के मूड में निकले हैं। उन्होंने कहा था, ‘एक करोड़ कट्टर हिंदू बना लेंगे तो हजार वर्ष तक सनातन धर्म को कोई उंगली नहीं दिखा सकता, इतनी सी बात है समझ जाए तो ठीक है, नहीं तो तुम्हारी बहन बेटी को लव जिहाद से बचा नहीं सकता है, चाहे अधिकारी हो, नेता हो, अभिनेता हो, खास हो या आम हो। लव जिहाद, लैंड जिहाद से तुम अपनी पीढ़ी को बचा नहीं सकते।’
बाबा बागेश्वर ने कहा था, ‘हिंदुओं को मंजिल तब प्राप्त होगी जब नारी नारायणी बन जाएगी, हिंदुओं को मंजिल तब प्राप्त होगी जब मंदिर में बनी हुई जितनी मस्जिदे हैं वहा फिर से मंदिर बन जाएंगे। हिंदुओं को मंजिल तब मिलेगी कहीं से भी बहन बेटी गुजर जाएं तो धर्म विरोधी, लव जिहाद वाले टेढ़ी निगाह से ना देखें। हिंदुओं को मंजिल तब मिलेगी जब हिंदू हिन्दुस्तान में हिंदू राष्ट्र का झंडा फहरा देंगे।’
इसी यात्रा के दौरान हिंदुओं से जागने की अपील करते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा था, ‘जो होना है जल्दी हो जाए। हिंदू जग जाए तो बढ़िया हैं ना जगे तो और बढ़िया हैं, जल्दी से इस्लामिक राष्ट्र बन जाए। हम तो आरपार के मूड में निकले हैं, गजवा ए हिंद हो जाए या भगवा ए हिंद हो जाए। कौन हिंदू मुसलमान करता रहे, यह होना चाहिए वह होना चाहिए, जो होना है जल्दी हो जाए।’
उधर अजमेर दरगाह को लेकर अदालत द्वारा सुनवाई याचिका स्वीकार करने को लेकर अजमेर दरगाह के खादिमों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘अंजुमन सैयद जादगान’ के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि संस्था को मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दरगाह अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन आती है और एएसआई का इस जगह से कोई लेना-देना नहीं है।
सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि उक्त याचिका समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने के लिए जानबूझकर की जा रही कोशिश है। उन्होंने कहा, ‘समाज ने बाबरी मस्जिद मामले में फैसले को स्वीकार कर लिया और हमें विश्वास था कि उसके बाद कुछ नहीं होगा। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसी चीजें बार-बार हो रही हैं। उत्तर प्रदेश के संभल का उदाहरण हमारे सामने है। यह रोका जाना चाहिए।’ बता दें कि उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने संभल में स्थित जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था क्योंकि दावा किया गया था कि इस जगह पर पहले हरिहर मंदिर था।
सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि वह दरगाह से जुड़े मौजूदा मामले में कानूनी राय ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज की पवित्र दरगाह दुनिया भर, खासकर भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों और हिंदुओं में पूजनीय है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दक्षिणपंथी ताकतें सूफी दरगाह को मुद्दा बनाकर मुसलमानों को अलग-थलग करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का लक्ष्य बना रही हैं।’ ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह भी कहा जाता है।
सैयद सरवर चिश्ती ने कहा, ‘यह याचिका मुसलमानों के खिलाफ काम करने वाले उस बड़े ‘तंत्र’ का हिस्सा लगती है जो धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। यह दरगाह धर्मनिरपेक्षता का शानदार उदाहरण है, जहां न केवल मुसलमान बल्कि हिंदू भी आते हैं। यह दुनिया भर में रहने वाले लोगों की आस्था का स्थान है।’
उन्होंने कहा कि दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है तथा यह विविधता में एकता को बढ़ावा देती है। सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि मस्जिदों में शिवलिंग और मंदिर तलाशे जा रहे हैं…लेकिन ये चीजें देश के हित में नहीं हैं।