कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत का शानदार प्रदर्शन जारी है, शुरुआती पांच दिन में देश के नाम अभी तक 13 मेडल्स हो चुके हैं. इसमें एक सबसे खास पल मंगलवार को आया, जब लॉन बॉल्स इवेंट में भारत को गोल्ड मेडल मिला. भारतीय महिला टीम ने ये इतिहास रचा, क्योंकि इस इवेंट में पहली बार हुआ जब भारत को कोई मेडल मिला हो और वह भी सीधा गोल्ड मेडल ही मिला.
भारत ने फाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका को 17-10 से मात दी. भारत की बेटियां लवली चौबे, रूपा रानी टिर्की, पिंकी और नयनमोनी साकिया जिन्होंने देश का नाम रोशन किया, उनके लिए यह सफर इतना आसान नहीं था क्योंकि ना तो इनके पास कोई फंड था और ना ही कोई कोच. यानी सबकुछ अपनी मेहनत से किया गया.
चारों ही महिलाएं अलग-अलग बैकग्राउंड से आती हैं, सभी का बैकग्राउंड काफी सिंपल है लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने यहां इतिहास रचा. जब गोल्ड मेडल जीता उसके बाद इस टीम ने आजतक से बात की, उन्होंने अपने अनुभव को बताया.
प्लेयर्स ने बताया कि जो मेहनत हमने की और जो सोचा था, वह हमने हासिल कर लिया है. कई महीनों से हम इसके लिए लगे हुए थे. 2010 से शुरू हुआ ये सफर कैसे कॉमनवेल्थ गेम्स तक पहुंचा, इसपर टीम इंडिया ने कहा कि हम लोग अलग-अलग लेवल पर खेलते रहे, हमने कई मेडल भी जीते हैं. लेकिन हमारा लक्ष्य था कि कॉमनवेल्थ गेम्स में भी मेडल लाना है.
चार साल से टीम के पास कोच नहीं
बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के बाद से ही महिला टीम के पास कोई कोच नहीं है. यानी पिछले चार साल से वह खुद के दम पर ही तैयारियों में जुटी थीं और अब चार साल बाद यानी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में यह मेहनत सफल आई और भारत के नाम गोल्ड मेडल हुआ.
लॉन बॉल्स को कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा बने हुए 92 साल हो गए हैं, भारत ने पहली बार इसमें कोई मेडल जीता है. देश में करोड़ों लोगों को इस गेम का नाम, मतलब कुछ नहीं पता था लेकिन जब इतिहास रचा गया है तो हर कोई इसको लेकर उत्सुक है.
महिला टीम की चारों सदस्यों को काफी कम ही लोग जानते हैं, इनमें लवली चौबे झारखंड से आती हैं जो पुलिस कॉन्स्टेबल हैं. नयनमोनी साकिया फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में नौकरी करती हैं, पिंकी दिल्ली के एक स्कूल में टीचर हैं. जबकि रूपा रानी झारखंड में जिला खेल अधिकारी हैं.