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‘CM योगी को मथुरा से चुनावी मैदान में उतारा जाए’, BJP सांसद ने की जेपी नड्डा से मांग

बीजेपी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव (Harnath Singh Yadav) ने पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा (JP Nadda) को पत्र लिखकर उनसे आगामी विधानसभा चुनावों में मथुरा (Mathura) से उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को मैदान में उतारने पर विचार करने का अनुरोध किया है. यादव ने कहा कि मथुरा के लोग चाहते थे कि मुख्यमंत्री उनके क्षेत्र से चुनाव लड़ें और वह स्वयं भगवान कृष्ण द्वारा पत्र लिखने के लिए प्रेरित हुए.

हरनाथ सिंह यादव ने अपने पत्र में लिखा, ‘हर निर्वाचन क्षेत्र के लोग चाहते हैं कि योगी जी उनके क्षेत्र से चुनाव लड़ें लेकिन बृजक्षेत्र के लोग चाहते हैं कि वह मथुरा से चुनाव लड़ें और मुझे आपको लिखने के लिए स्वयं भगवान कृष्ण द्वारा निर्देशित किया जा रहा है. मैं आपसे निवेदन करूंगा कि योगी जी को मथुरा से चुनाव लड़ने देने के बारे में सोचें.’ आदित्यनाथ ने शनिवार को पुष्टि की कि वह आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन किस सीट से उन्हें मैदान में उतारा जाएगा ये पार्टी नेतृत्व तय करेगा.

विपक्षी नेताओं को संदेश देता है चुनाव लड़ने का फैसला
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अयोध्या (Ayodhya), मथुरा या अपने गृह जिले गोरखपुर (Gorakhpur) से चुनाव लड़ेंगे, आदित्यनाथ ने कहा, ‘पार्टी जहां कहेगी मैं चुनाव लड़ूंगा.’ आदित्यनाथ की आगामी चुनाव लड़ने की घोषणा समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) और कांग्रेस (Congress) नेता प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) के लिए एक सीधा संदेश है, जिनके चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है.

यूपी में बीजेपी की राह नजर आ रही है आसान
योगी आदित्यनाथ के इस कदम को एक गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी (Varanasi) से चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस फैसल ने पूरे पूर्वी यूपी में बीजेपी के लिए लाभ सुनिश्चित किया था.

राज्य में इस साल फरवरी-मार्च में चुनाव होने हैं. कई चुनाव सर्वे ने बीजेपी के लिए जीत की भविष्यवाणी की है. लेकिन सीट शेयर का एक बड़ा नुकसान भी दिखाया है. जिसका सीधा फायदा समाजवादी पार्टी को होने वाला है. दूसरी ओर, कांग्रेस को एक और चुनावी हार का सामना करना पड़ सकता है और सीटों के दो अंकों के अंक तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है.