आस्था का महापर्व छठ (Chhath 2020) शुरू हो चुका है और चार दिनों तक चलने वाले महापर्व की देश के कोने-कोने में अलग ही रौनक देखने को मिलती है. हालांकि, इस साल कोरोना के कारण घाट पर मेले नहीं लगे हैं और कुछ जगहों पर सार्वजनिक पूजा की रोक भी है. मगर लोग अपने घरों में ही छठ पर्व मना रहे हैं. छठ पूजा बहुत ही लोकप्रिय है और इस बार शुक्लपक्ष की सप्तमी यानि 21 नवंबर को उदीयमान योग है यानि सूर्यास्त के समय अर्घ्य इसी योग में दिया जाएगा. इस योग को छठ पूजा में बेहद खास और शुभ माना जा रहा है.
छठ मैया की पूजा
छठ पूजा में सूर्यदेव की उपासना और छठी मैया की पूजा की जाती है. वैसे तो छठ को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं और मान्यता है कि संतान की खुशहाली और प्राप्ति के लिए छटी मैया की पूजा की जाती है. जिससे मैया प्रसन्न होकर आशीर्वाद दे. बुधवार से छठ पर्व का आरंभ हो चुका है औरनदी या तालाब में नहाने के बाद लौकी की सब्जी और सरसों का साग खाकर व्रक की सफलता की कामना की जाती है. छठ का उपवास बहुत कठिन होता है और व्रती श्रद्धालुओं को 36 घंटे तक बिना कुछ खाए-पीए रहना होता है.
खरना
छठ पर्व में खरना 19 नवंबर को है और इसी दिन छठ पूजा का महाभोग बनाया जाता है.इस दिन कुछ बातों का ध्यान रखकर प्रसाद का ठेकुआ बनाया जाता है जो बहुत ही स्वादिष्ट होता है.
ढलते सूर्य को अर्घ्य
छठ पर्व इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें सिर्फ उगते सूरज की नहीं बल्कि ढलते सूरज को भी अर्घ्य दिया जाता है. इस वर्ष 20 नवंबर को ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा,इसे ही मुख्य छठ पूजा कहा जाता है. लेकिन अर्घ्य तालाब या नदी के पानी में खड़े होकर दिया जाता है. जो लोग घरों में छठ मनाते हैं वह घर में ही तालाब बनाकर उसमें खड़े होकर सूरज देवता को अर्घ्य देते हैं.
21 नवंबर को समापन
चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का समापन 21 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा. इसके बाद पूजा का प्रसाद व्रती महिलाएं या पुरुष ग्रहण करते हैं और परिजनों को बांटते हैं.