आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र नामक पुस्तक में इंसान को सफल होने और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए कई बातों का जिक्र किया है. चाणक्य ने नीतियों के द्वारा मानव और समाज के कल्याण के बारे में भी बताया है. ऐसे में चाणक्य नीति के मुताबिक जानते हैं कि कैसे लोग किसी के भी स्नेह-प्यार के हकदार नहीं होते हैं. ऐसे लोगों को हमेशा खुद में परिवर्तन लाने की कोशिश करनी चाहिए.
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में भी एक श्लोक का जिक्र किया गया है. श्लोक है- ‘अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ . इस श्लोक का भावार्थ है कि जिस व्यक्ति का हृदय विशाल होता है, उनके लिए पूरी पृथ्वी परिवार के समान है. वहीं जो संकीर्ण हृदय के होते हैं वे अपने और पराए के बीच के अंतर में भी फंसे रहते हैं.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक इंसान को हमेशा सबके हित के लिए सोचना चाहिए. व्यक्ति को हमेशा बड़े उदार हृदय का होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि जब इंसान का हृदय विशाल होता है तो हर कोई प्यार से बात करता है. समाज में मान-सम्मान के साथ-साथ हर किसी का प्यार मिलता है. उदार और बड़े दिल वाले लोग दान-पुण्य करने में कभी पीछे नहीं हटते हैं. ऐसे लोग हर किसी की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं, इसलिए हर किसी को हमेशा बड़े दिल का इंसान होना चाहिए. दरअसल ऐसे लोगों को हर कोई पसंद करता है और अपना बना लेता है.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक जो व्यक्ति दिल का छोटा होता है, उसकी सोच भी छोटी होती है. ऐसा इंसान अपने और पराए के बीच में फंसकर रह जाता है. साथ ही ऐसे लोग कुछ भी करने से पहले उसके लाभ के बारे में सोच लेते हैं. यही कारण हैं कि ऐसे लोगों को समाज में एक अलग ही जगह मिलती है. ऐसे लोगों को हर कोई घृणा के भाव से देखता है. इतना ही नहीं, ऐसे लोगों को जीवन भर अकेला ही रहना पड़ता है. चाणक्य के मुताबिक छोटे हृदय वाले लोग किसी का खास नहीं बन पाते हैं.