मृदा एवं जल संरक्षण के कैबिनेट मंत्री डॉ. इन्दरबीर सिंह निज्जर ने पंजाब के मृदा एवं जल संरक्षण विभाग की ‘संशोधित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजज़ऱ्’ की शुरुआत की है। नई कार्य प्रक्रियाओं को 50 से अधिक सालों के बाद संशोधित किया गया है, और यह 1960 के दशक के दौरान बनाई गईं पुरानी प्रक्रियाओं की जगह ले लेंगी, जब विभागीय कार्य प्रकृति में मामूली थे और मुख्य तौर पर केवल मृदा संरक्षण के कार्यों तक सीमित थे।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री, डॉ. इन्दरबीर सिंह निज्जर ने कहा कि विभागीय कार्यों की प्रकृति और मापदंड बहुत बदल गए हैं। भूजल के तेज़ी से घटने और सीमित सतही पानी की उपलब्धता के कारण ख़ास तौर पर 1980 के दशक के अंत के बाद जल संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन ने महत्व ग्रहण किया। इसलिए, संशोधित कार्य विधियों में बारिश के पानी का संरक्षण, भूमिगत पाईपलाईनें, ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई, और ट्रीट किए गए पानी का प्रयोग जैसे कार्यों पर ज़ोर दिया गया है, जोकि विभाग का मुख्य फोकस बन गए हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. निज्जर ने बताया कि सरकार सार्वजनिक कार्यों में और ज्य़ादा दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए, ऐसे सभी नियम और प्रक्रियाएँ जो पुरानी हो गई हैं और आम आदमी की सुविधा की बजाय एक रुकावट के रूप में काम करती हैं, को विभागों में दोबारा सुधारा जा रहा है। इन संशोधित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजऱ को जारी करना उस दिशा में एक कदम है।
महिन्दर सिंह सैनी, मुख्य मृदा संरक्षक, पंजाब जोकि विभाग के अन्य अधिकारियों समेत उपस्थित थे, ने बताया कि विभाग की इन संशोधित की गईं कार्य-विधियों में अधिकारियों/कर्मचारियों की कर्तव्यों और जि़म्मेदारियों के अलावा निगरानी के साथ-साथ कार्यों को चलाने की विधि भी निर्धारित की गई है।