टीम इंडिया (Team India) को साल 2022 में चोटों (injuries) से जूझना पड़ा और उसके कई खिलाड़ी (player) इसका शिकार बने. जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah), रोहित शर्मा (Rohit Sharma) और रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) जैसे स्टार प्लेयर्स चोटिल खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल रहे. बुमराह और जडेजा की कमी तो टीम इंडिया को काफी खली और उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. अब भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों की इंजरी से निपटने के लिए एक बड़ा फैसला लिया.
अब खिलाड़ियों के सेलेक्शन का आधार यो-यो टेस्ट के अलावा डेक्सा (DEXA) भी होगा. अगर डेक्सा स्कैन में कोई समस्या आती है तो खिलाड़ियों का सेलेक्शन नहीं किया जाएगा. यानी कि अब भारतीय टीम में चयन के लिए यो-यो टेस्ट के साथ-साथ इस नए टेस्ट में भी खिलाड़ियों को सफलता प्राप्त करनी होगी.
क्या होता है DEXA टेस्ट?
डेक्सा एक प्रकार का बोन डेंसिटी टेस्ट है. इस पूरे प्रोसेस में एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. डेक्सा एक सेफ, दर्द रहित और जल्दी से होने वाला टेस्ट है, जिसका मुख्य उद्देश्य हड्डियों की मजबूती को मापना है. इस टेस्ट में दो प्रकार की बीम बनती है जिसमें एक बीम की ऊर्जा काफी उच्च होती है, वहीं दूसरी बीम की ऊर्जा लो होती है. दोनों बीम हड्डियों के अंदर से गुजरकर एक्स-रे करते हैं जिससे पता चल जाता है कि हड्डियों की मोटाई कितनी है.
डेक्सा मशीन के द्वारा इस पूरे प्रोसेस को किया जाता है. यह पूरा स्कैन हड्डी में किसी प्रकार के फ्रैक्चर की संभावनाओं को भी बता देता है. यही नहीं इस टेस्ट के जरिए बॉडी का फैट प्रतिशत, भार और टिशू के बारे में भी जानकारी मिल जाती है. यानी कि लगभग 10 मिनट का यह टेस्ट बता देगा कि कोई खिलाड़ी शारीरिक रूप से कितना फिट है. डेक्सा का दूसरा नाम बोन डेंसिटी टेस्ट (BDT) भी है.
यो-यो टेस्ट का पहले भी हो चुका प्रयोग
भारतीय खिलाड़ियों को अब फिर से यो-यो टेस्ट पास करना पड़ेगा. ऐसे में खासकर सीनियर्स खिलाड़ियों के लिए मुश्किल हो सकती है. यो-यो टेस्ट की बात करें तो इसमें कुल मिलाकर 23 लेवल होते हैं. चूंकि चार लेवल तो खिलाड़ी आसानी से पास कर लेते हैं, ऐसे में यह टेस्ट पांचवें लेवल से शुरू होता है. इस टेस्ट के लिए शंकुओं (Cone) का प्रयोग किया जाता है और खिलाड़ी दो लाइन बनाकर लगातार दौड़ते हैं. पहले खिलाड़ी पहले एक छोर से दूसरे छोर तक जाते हैं और फिर उन्हें वापस भी आना होता है.
एक बार इस प्रोसेस को पूरा करना कम्पलीट शटल कहलाता है. इस यो-यो टेस्ट में बीप का भी उपयोग होता है और बीप बजने पर खिलाड़ियों को टर्न लेना होता है. जैसे-जैसे टेस्ट का लेवल बढ़ता है तेजी भी बढ़ती जाती है, हालांकि टाइम और दूरी वही रहती. अब तक कोई भी प्लेयर इस टेस्ट के आखिरी लेवल को पार नहीं कर पाया है. यो-यो टेस्ट पास करने का स्कोर अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न है. टीम इंडिया के खिलाड़ियों लिए पिछली बार का पासिंग स्कोर 16.5 था.
बीसीसीआई की ओर से ये भी सुझाव
बीसीसीआई ने मुंबई में हुई रिव्यू मीटिंग में यह भी सुझाव दिया कि युवा खिलाड़ियों को भारतीय टीम में चयन के लिए योग्य होने से पहले घरेलू क्रिकेट खेलने का अच्छा खासा अनुभव होना चाहिए. भारतीय टीम फिलहाल श्रीलंका के खिलाफ 3 जनवरी से शुरू होने वाली टी20 सीरीज की तैयारी में व्यस्त है. टी20 सीरीज के बाद दोनों देशों के बीच तीन मैचों की वनडे सीरीज का भी आयोजन होना है. टी20 में हार्दिक और वनडे सीरीज में रोहित शर्मा कप्तानी करने जा रहे हैं.