भारत अगले पांच साल में दुनिया का वाहन विनिर्माण केंद्र बन सकता है, लेकिन इसके लिए वाहन कंपनियों को सड़क हादसों में मृत्यु दर कम करने के लिए सुरक्षा संबंधी खूबियां (फीचर) बढ़ाने की जरूरत है. जिससे सरकार 2024 के अंत तक सड़क हादसों में 50 प्रतिशत तक कमी लाने के लक्ष्य को पूरा कर सके.
केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने गुरुवार को कहा है कि देश वैकल्पिक ईंधन के बारे में गंभीरता से सोच रहा है. भारत में ऊर्जा का निर्यातक बनने की क्षमता है. कई प्रमुख निर्माता ऐसी मोटरसाइकिल्स के साथ तैयार हैं जो 100 प्रतिशत बायोएथेनॉल पर चल सकती हैं. जिससे लोगों के पेट्रोल का खर्च कम होगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर ऑटो कंपनियां अपने वाहनों में सेफ्टी फीचर्स को बढ़ाती हैं तो भारत अगले पांच साल के अंदर दुनिया का नंबर एक ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग हब बन सकता है. लेकिन हमे ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो समस्याओं को अवसर में बदल सके, अवसर को समस्याओं में नहीं. भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और हम ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को इसके लिए विकास इंजन का नाम दे सकते हैं.
पीएम मोदी के आत्मानिर्भर भारत के सपने को साकार करने की प्रक्रिया में ऑटो इंडस्ट्री प्रमुख भूमिका निभाएगा. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ऑटो इंडस्ट्री को सड़क सुरक्षा और पर्यावरण के अनुकूल विनिर्माण के संबंध में अधिक जवाबदेह होना चाहिए.
पेट्रोलियम मंत्री से जल्द मुलाकात करेंगे गडकरी
गडकरी ने कहा कि देशभर में इथेनॉल पंप स्थापित करने की नीति पर काम चल रहा है. वह देश में इथेनॉल आधारित पंप स्थापित करने की नीति पर काम करने के लिए अगले 15 दिनों के भीतर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी से मुलाकात करेंगे. अगर पेट्रोल में 20 फीसदी तक इथेनॉल मिलाया जाए तो 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी. कई प्रमुख निर्माता मोटरसाइकिल के साथ तैयार हैं जो 100 प्रतिशत बायोएथेनॉल पर चल सकती हैं.
इसके साथ ही गडकरी ने कहा कि देश में बायोएथेनॉल पर चलने वाले ऑटोरिक्शा का भी निर्माण किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि श्रीलंका और बांग्लादेश ने भारत से इथेनॉल आयात करने में रुचि दिखाई है और उन्होंने दोनों देशों के साथ विचार-विमर्श किया है. मैंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री (शेख हसीना) और श्रीलंका के मंत्री के साथ भी इस मामले पर चर्चा की है. दोनों देश पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण करना चाहते हैं.
50 गीगावाट बैटरी बनाने का लक्ष्य
गडकरी का कहना है कि ग्रीन फ्यूल से प्रदूषण की समस्या से काफी हद तक निजात मिलने जा रही है लेकिन इसके साथ ही प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार इलेक्ट्रिक हाईवे का निर्माण करने के साथ ही इलेक्ट्रिक कारों पर सब्सिडी देने का भी काम तेजी से कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान में ईवीएस में उपयोग की जाने वाली बैटरियों के निर्यात में चीन और मलेशिया का दबदबा है.
चीन वैश्विक स्तर पर 85 प्रतिशत बैटरी निर्यात करता है, मलेशिया का 7 प्रतिशत बाजार हिस्सा है, अमेरिका, फ्रांस और अन्य 8 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं. गडकरी ने कहा कि भारत पीएलआई योजना के तहत 50 गीगावाट बैटरी बनाने का लक्ष्य हासिल करने के करीब है.