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भक्ति के ज्ञान रूपी जल में डुबकी लगाने से मन निर्मल हो जाता है: भागवताचार्य श्रद्धेय माधवानंद जी

रिपोर्ट : विवेक पाण्डेय रामसनेही घाट बाराबंकी : २६ वर्षों से निरंतर होने वाले पंच दिवसीय सत्संग समारोह ‌एवं संत सम्मेलन का आयोजन इस वर्ष भी निस्कापुर ( छुलिहा) में प्राम्भ हुआ। प्रथम दिवस की कथा में भागवताचार्य श्रद्धेय माधवानंद जी ने कहा कि शरीर की गंदगी को दूर करने के लिए तो साधन सुलभ है पर रूप, रस, गंध व स्पर्श से उत्पन्न आंतरिक विकारों को दूर करना कठिन है।

यदि इन विकारों को दूर करना है तो मनुष्य को सत्संग का सहारा लेना चाहिए। सत्संग विद्वानों के सानिध्य में आने से प्राप्त होता है। विद्वान बताते हैं कि भक्ति भावना ही सर्वश्रेष्ठ है। भक्ति के ज्ञान रूपी जल में डुबकी लगाने से मन निर्मल हो जाता है। मन के निर्मल होने पर सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल जाती है। भक्ति के द्वारा ही जीव फिर मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
इस अवसर पर राम सेवक दास जी महाराज,सन्त दिलीप, सांसद प्रतिनिधि बाबा परमेन्द्र विक्रम सिंह ,नवल किशोर त्रिवेदी,सुरेश सिंह, विवेक पाण्डेय श्रीपति सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।