उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दल अपने-अपने समीकरण तेजी से साध रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा भले ही चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन भारतीय जनता पार्टी से लेकर समाजवादी पार्टी तक चुनावी अभियानों में जुट गयी हैं। जातिगत, क्षेत्रगत मतदाताओं पर सभी दलों की नजर लगी हुई है। अभी तक चुनावी मोड में नहीं दिख रहीं मायावती ने भी अपने सियासी दांव चलने शुरू कर दिये हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती की उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान की रणनीति अभी फलक पर नहीं आयी है। मायावती ने 23 दिसंबर को पार्टी मुख्यालय पर बसपा की एक अहम बैठक बुलाई है।
माना जा रहा है कि मायावती की यह बैठक विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाने को लेकर होगी। 23 दिसंबर यानि गुरुवार को होने वाली इस बैठक में उत्तर प्रदेश के सभी मुख्य सेक्टरों के प्रभारियों के साथ-साथ प्रदेश के 75 जिलाध्यक्षों समेत पार्टी के बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि मायावती इसी बैठक में अपनी आगे की रणनीति का खुलासा करेंगी और पार्टी के भविष्य की योजना तैयार करेंगी।
यूपी विधानसभा चुनाव के लिए अपने पत्ते खोलने और अभियान का आगाज करने से पहले मायावती इस बात का पता लगाना चाहती हैं कि ग्राउंड लेवल पर बसपा की क्या स्थिति है। बसपा को चुनाव में किन परिस्थितियों को सामना करना पड़ेगा। बसपा को यूपी फतह करने के लिए क्या-क्या करने की जरूरत है। बैठक में मायावती सभी नेताओं से फीडबैक लेंगी और फिर उसके आधार पर ही आगे की रणनीति तय करेंगी। वर्तमान में मायावती लखनऊ में रहकर ही यूपी की सियासत पर पैनी नजर रखी हुई हैं।
बताया जा रहा है कि मायावती यूपी चुनाव के समर में कब से उतरेंगी, कहां से उनके चुनावी अभियान का आगाज होगा, भाजपा और सपा के मुकाबले उनकी क्या रणनीति होगी, सबकुछ इस बैठक के बाद ही तय होगा। इस बैठक के बाद ही मायावती अपने चुनावी अभियानों का आगाज करेंगी। यह देखने वाली बात होगी कि मायावती अपने चुनावी अभियान का आगाज पश्चिमी उत्तर प्रदेश से करती हैं या फिर पूर्वांचल से। मायावती को अपना वोट बैंक बचाने के साथ दूसरों के वोट बैंक में सेंधमारी करने की चुनौती है।
ज्ञात हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा की स्थिति अच्छी नहीं रही थी और पार्टी को महज 19 सीटों से संतोष करना पड़ा था।