अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने कश्मीर को लेकर बड़ा बयान दिया है. बीबीसी से खास बातचीत में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि हमारे पास कश्मीर के मुसलमानों के लिए भी आवाज उठाने का अधिकार है. कयास लगाए जा रहे हैं कि पाकिस्तान तालिबान के उदय का इस्तेमाल अलगाववादी एजेंडे को हवा देने के लिए ‘कश्मीर में इस्लामी भावनाओं को भड़काने’ के लिए कर सकता है.
मुस्लिमों की आवाज़ उठाने का अधिकार तालिबान के पास- प्रवक्ता
जूम कॉल के जरिए बीबीसी से बात करते हुए सुहैल शाहीन ने कहा, ”मुसलमान के तौर पर भारत के कश्मीर में या किसी और देश में मुस्लिमों के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार तालिबान के पास है. हम आवाज़ उठाएंगे और कहेंगे कि मुसलमान आपके लोग है, अपने देश के नागरिक हैं. आपके कनून के मुताबिक वह सभी समान हैं.”
भारत को घाटी के प्रति ‘सकारात्मक दृष्टिकोण’ अपनाना चाहिए- तालिबान
इससे पहले अन्य तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद पर कहा था कि भारत को घाटी के प्रति ‘सकारात्मक दृष्टिकोण’ अपनाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था कि भारत और पाकिस्तान को एक साथ बैठना चाहिए और मामलों को हल करना चाहिए, क्योंकि दोनों पड़ोसी हैं और उनके हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.
घाटी में बढ़ सकती हैं आतंकी गतिविधियां
अल-कायदा ने कश्मीर और अन्य तथाकथित इस्लामी भूमि की ‘मुक्ति’ का आहवान किया है. जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं, ताकि तालिबान की जीत की बढ़ती भावनाओं को भुनाया जा सके. साल 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का प्रशासन सीधे अपने हाथों में ले लिया और कई वादे किए गए, हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों के आयोजन से राजनीतिक गतिविधि बहाल हो गई है, लेकिन अलगाव की भावना कम नहीं हुई है.