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क्वांटम कम्प्यूटर से बदल जायेगी दुनिया, मिनटों में सुलझेगी बड़ी-बड़ी समस्‍यायें

विश्व के वैज्ञानिक क्वांटम कंप्यूटर बनाने में जुटे हैं। आज जिसके पास डेटा है, वही शक्तिशाली है। क्वांटम कम्प्यूटर डेटा प्रोसेस करने की रफ्तार बढ़ा सकता है, कम स्पेस में अधिक डेटा स्टोर कर सकता है और डेटा प्रोसेस व गणना तकनीकी को अधिक दक्ष बना देगा। इससे ऊर्जा की खपत भी कम होगी। आज क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए माइक्रोसाफ्ट, इंटेल, अल्फाबेट-गूगल, आइबीएम, डी-वेब सहित अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां और विभिन्न देशों की सरकारें (भारत भी) राष्ट्रीय रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा उन पर खर्च कर रही हैं। क्वांटम कम्प्यूटर की बदौलत स्वास्थ्य व विज्ञान, सुरक्षा, औषधि निर्माण और औद्योगिक निर्माण जैसे क्षेत्रों में नई सम्भावनाएं पैदा होंगी।

बता दें कि क्वांटम कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है, जो क्वांटम फिजिक्स के आधारों और नियमों का इस्तेमाल कर डेटा को स्टोर करता है और कम्प्यूटेशन परफॉर्म करता है। क्वांटम कम्प्यूटर बहुत ही कठिन कामों को पल भर में सफलतापूर्वक कर सकता है,क्वांटम कम्प्यूटर भविष्य का कम्प्यूटर है ये आज के जमाने के कम्प्यूटर से बिलकुल ही अलग है और शक्तिशाली होते हैं, इसके पीछे एक बहुत ही खास वजह है। क्वांटम कम्प्यूटिंग व्यावहारिक रूप से अभी तक वैज्ञानिकों के लिए भी एक सैद्धांतिक कल्पना जैसी ही थी, लेकिन पिछले दो वर्षों में पूरा परिदृश्य ही बदल गया है। इस दिशा में हो रही प्रगति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरा क्वांटम कम्प्यूटर तो नहीं, पर उसके प्रोसेसर या सीपीयू को लॉन्‍च किया जा चुका है। हाल में एक डच स्टार्ट-अप क्वांटवेयर ने दुनिया के पहले क्वांटम प्रोसेसिंग यूनिट (क्यूपीयू) को लॉन्‍च किया है। इस प्रोसेसर का नाम है सोप्रानो।

क्वांटम कम्प्यूटिंग के इतिहास में यह एक चमत्कारिक उपलब्धि है। क्वांटम कम्प्यूटर को लेकर काफी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन बीते वर्ष 2019 में सर्च इंजन गूगल ने यह जता दिया कि दुनिया क्वांटम युग के मुहाने तक पहुंच गई है। दरअसल, सितम्बर 2019 में ‘नेचर’ में प्रकाशनार्थ स्वीकृत एक लेख आनलाइन लीक हो गया था, जिससे चला कि गूगल ने ‘साइकामोर’ नामक क्वांटम कम्प्यूटर बना लिया है। बाद में गूगल ने दावा किया कि साइकामोर ऐसी गणनाओं को महज 200 सेकेंड में करने में सफल रहा है, जिसे दुनिया के सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर को करने में दस साल लग जाते। पता नहीं कि गूगल के दावे में कितनी सच्चाई थी, लेकिन यह स्पष्ट है कि भविष्य के साधारण क्वांटम कम्प्यूटर भी आज के सुपर कम्प्यूटर्स से लाखों गुना तेज होंगे।