सनातन धर्म में शनि ग्रह को विशेष स्थान दिया जाता। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। मान्यता है शनिदेव जिससे नाराज हो जाते हैं उसे पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं। वहीं जिससे खुश होते हैं उसके सारे काम बना देते हैं और वह सफलता की उंचाइयों को छूता है। शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनिदेव जब भी स्थान परिवर्त करते हैं यानी की एक राशि से दूसरी राशि में जाते है तो इस काम में वह करीब ढाई साल का समय लेते हैं। जब शनि किसी एक राशि में ढाई वर्षों तक गोचर करते हैं तो उस दौरान तीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और दो राशियों पर ढैय्या लग जाती है। शनि के राशि परिवर्तन से साढ़ेसाती शुरू हो जाती है।
तीस वर्ष बाद शनि इस समय अपनी स्वयं की राशि मकर में विराजमान हो गये हैं। अब ये यहां ढाई वर्षों तक रहेंगे। शनि के एक राशि में ढाई साल तक समय बिताने के लिहाज से सभी 12 राशियों का एक चक्कर लगाने में लगभग 30 साल का समय लगता है। जैसे कि इस समय शनि मकर राशि में गोचर कर हैं। अब दोबारा मकर राशि में आने के लिए शनि को 30 वर्षों का समय लगेगा। ज्योतिष गणना के मुताबिक चंद्र राशि से जब शनि 12वें भाव, पहले भाव व द्वितीय भाव से निकलते हैं, उस अवधि को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। वहीं जब शनिदेव गोचर में जन्म राशि से चतुर्थ और अष्टम भाव में रहते हैं तो उसे शनि की ढैय्या माना जाता। आज हम आपको बतायेंगे आने वाले 10 वर्षों में कब-कब कौन-कौन सी राशि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से प्रभावित होगी।
2021 में शनि
इस समय शनिदेव मकर राशि में भ्रमण कर रहे हैं। ऐसे में धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है जबकि मिथुन और तुला राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या है।
2022 में शनि
शनिदेव 29 अप्रैल 2022 में मिथुन राशि से अपनी यात्रा समाप्त करेंगे जिससे मिथुन और तुला राशि पर से शनि की ढैय्या खत्म हो जाएगी। इसके बाद वह कुंभ राशि में गोचर करेंगे जिससे कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर शनि ढैय्या शुरू हो जाएगी। वहीं धनु राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती छुटकारा मिल जायेगा। वही मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण आरंभ हो जाएगा। इस तरह से 2022 में मकर, कुंभ और मीन राशि पर साढेसाती और कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैय्या लग जायेगी।
2023 और 2024 में शनि
वर्ष 2023 और 2024 में शनिदेव किसी भी राशि में गोचर नहीं करेंगे। इस कारण से शनि कोई साढ़ेसाती मकर, कुंभ और मीन राशि पर ही बनी रहेगी जबकि शनि की ढैय्या कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर बनी रहेगी।
2025 और 2026 में शनि
जब वर्ष 2025 में शनि ग्रह का राशि परिवर्तन होगा तो वह मेष राशि में गोचर करेंगे। राशि परिवर्तन करने के साथ ही
कर्क और वृश्चिक राशि वालों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं सिंह और धनु राशि वालों पर ढैय्या आरंभ हो जाएगी लेकिन कुंभ, मीन और मेष राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती चलती रहेगी। 2026 में शनि ग्रह का कोई स्थान परिवर्तन नहीं होगा जिस कारण से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में भी को बदलाव नहीं होगा।
2027 और 2028 में शनि
साल 2027 में शनिदेव फिर से स्थान परिवर्तन करेंगे। इस दौरन वह वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे जिससे मीन, मेष और वृषभ राशि के जातक साढ़ेसाती की चपेट में रहेंगे जबकि सिंह और धनु राशि के जातकों को इस वर्ष शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं कन्या और मकर राशि वालों पर ढैय्या आरंभ हो जाएगी। साल 2028 में शनि का राशि परिवर्तन नहीं होगा। ऐसे में साढ़ेसाती और ढैय्या में भी को बदलाव नहीं होगा।
वर्ष 2029,2030 और 2031 में शनि
साल 2029 में आठ अगस्त को शनिदेव मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे जिससे तुला और कुंभ राशि पर ढैय्या और मेष, वृषभ और मिथुन वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। वर्ष 2030 और 2031 में शनि का कोई भी राशि परिवर्तन नहीं होगा और न ही साढ़ेसाती और ढैय्या के ही कोई बदलाव होगा।