कूटनीतिक-सामरिक वार्ता के बीच पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ महीनों की शांति के बाद चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पिछले दिनों फिर से हरकत शुरू कर दी है. पूर्वी लद्दाख के इलाकों में चीनी सेना अपनी ओर सैन्य अभ्यास कर रही है. इसे देखते हुए भारतीय सेना भी पूरी तरह से अलर्ट हो गई है. इस पर भारतीय सेना प्रमुख एम.एम. नरवणे ने कहा कि आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने चीन को साफ संदेश देते हुए कहा कि जब तक लद्दाख में तनाव वाली जगहों से चीनी सैनिकों की वापसी नहीं हो जाती, तब तक भारत भी अपने सैनिक पीछे नहीं हटाएगा. आगे कहा कि भारत किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि भारत चाहता है कि अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल हो. नरवने ने कहा कि भारत ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि दोनों पक्षों की पारस्परिक संतुष्टि के लिए विघटन पूरा होने के बाद ही डी-एस्केलेशन पर विचार किया जाएगा.
इंडियन आर्मी चीफ नरवणे ने कहा कि भारतीय सैनिक हाई अलर्ट पर हैं और पैंगोंग झील से हटने के बाद तैनाती कम नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिकों को इमिडिएट डेप्थ में तैनात किया है, इसलिए भारत ने भी डेप्थ में इसी तरह की तैनाती की है.
नरवणे ने यह भी कहा कि भारत चीनी पक्ष के घटनाक्रम पर नजर रख रहा है. उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में एलएसी के साथ हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग जैसे अन्य विवादित बिंदुओं पर बकाया समस्याओं को हल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
सेना प्रमुख एमएम नरवणे का बड़ा बयान, चीन की हर हरकत पर पूरी नजर
आपको बता दें कि इससे पहले सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि चीन की हर हरकत पर हम पूरी तरह नजर बनाए हुए हैं. हम सभी इस विशेष अवधि के दौरान अपने प्रशिक्षण क्षेत्रों में आते हैं. इसी तरह चीन भी उसके प्रशिक्षण क्षेत्र में आ गया है. ऐसे किसी भी क्षेत्र में कोई हलचल नहीं हुई है, जहां से हम अलग हुए हैं. पैंगोंग त्सो विघटन को दोनों पक्षों के सहमति से किया गया है.
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कोरोना पर कहा था कि अप्रैल के मध्य में सैन्य अस्पतालों में लगभग 1,800 ऑक्सीजन बेड थे. यह संख्या अब बढ़कर करीब चार हजार हो गई है. हमने ऑक्सीजन संयंत्रों की संख्या दोगुनी कर 42 कर दी. सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि जहां तक बल संरक्षण का संबंध है, वे सभी निर्देश जो हमने पिछले वर्ष पारित किए थे, उन्हें इस वर्ष भी फिर से लागू कर दिया गया है. भारतीय सेना में मामलों की संख्या में भी शुरुआती उछाल के बाद गिरावट देखी गई है.