रिपोर्ट : सुरेंद्र सिंघल, वरिष्ठ पत्रकार लखनऊ : पांच बार के लोकसभा सदस्य और चार साल से देश के सबसे बडे प्रांत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरखपुर स्थित गौरक्षा पीठाधीस्वर योगी आदित्यनाथ अपने कामकाज और व्यक्तित्व की बदौलत भाजपा के शीर्ष स्टार प्रचारकों में अपना स्थान बना लिया है। वह देश को सबल नेतृत्व देने की क्षमता देने वाले नेता के रूप में स्थान बना चुके है। किसी भी राष्ट्र के लिए यह बडी उपलब्धि है। नेहरू के बाद कौन के किस्से हमने खूब सुने जबकि उस वक्त देश में एक से एक बडी हस्ती मौजूद थी। भाजपा युग में अटल, आडवाणी के बाद के सवाल का जवाब नरेंद्र मोदी बने। किसी भी देश में नेतृत्व में राजनीतिक शून्यता हमेशा घातक होती है।
ऊर्जावान और संभावनाओं से भरे कम से कम दर्जन भर नेताओं की उपस्थिति संतोष और तसल्ली देती है। भाजपा ने इसी साल मार्च महीनें में सुगमता पूर्वक राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया है। 10 मार्च को पौढी के सांसद तीरथ सिंह रावत ने 10 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राजनीतिक हलकों में आशंका जताई गई कि कही यूपी में योगी आदित्यनाथ को भी न बदल दिया जाएं। यूपी में 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने 22 अगस्त 2019 को मंत्रिमंडल का गठन किया था। तब उनके सहयोगी मंत्रियों की संख्या 56 थी। कोरोना काल में तीन मंत्री चेतन चौहान, कमलारानी वरूण और विजयपाल कश्यप का निधन हो गया है। राज्य में मंत्रियों की संख्या 60 तक हो सकती है। योगी जी के पास सात नए मंत्री बनाने का अधिकार है।
वह कुछ मंत्रियों को कैबिनेट में प्रोन्नत कर सकते है और कुछ को हटा भी सकते है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम कर उनका विश्वास जीतने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के आईएएस अरविंद कुमार शर्मा को पिछले दिनों विधान परिषद में लिया गया। योगी आदित्यनाथ अरविंद शर्मा को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ मंत्रिमंडल में स्थान दे सकते है। एक हफ्ते से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में उत्तर प्रदेश को लेकर जबरदस्त सरगर्मियां है। निजी पीडा और कुठाग्रस्त लोगों ने योगी आदित्यनाथ को बदले जाने तक की चर्चाएं फैलाई। सात साल से प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर रहे नरेंद्र मोदी के आभा मंडल में जिनसे नई ऊर्जा और रोशनी का संचार होता है। उनमें योगी आदित्यनाथ पहले है। अमित शाह, राजनाथ सिंह, रेलमंत्री पीयूष गोयल और नितिन गडकरी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा शामिल है।
इस तथ्य से सभी अवगत है कि देशभर में योगी आदित्नाथ अकेले ऐसे मुख्यमंत्री है जो कोविड-19 की महामारी से एकदम फ्रंट से लड रहे है। वह राज्य का सामान्य कामकाज चलाने के साथ-साथ प्रदेश भर के दौरे पर है। ऊर्जावान योगी आदित्यनाथ विश्राम नहीं करते है और सच में माना जाए तो यह समय किसी सच्चे और जनता के सबसे बडे हमदर्द नेता के लिए तनिक भी विश्राम करने का वक्त नहीं है। पूरा देश इस वक्त सभी राज्यों के कामकाज पर अपनी निगाहे गडाए हुए है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उधव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दूसरी बार सत्ता में लौटे केरल के मुख्यमंत्री पीनाराई विजयन का कामकाज भी तसल्लीबख्श है लेकिन योगी आदित्यनाथ सबसे आगे है। उन्होंने यूपी में कोरोना के चरम पर होने के दौरान लखनऊ में बैठने के बजाए प्रदेश के सभी 18 मंडलों का सघनता से दौरा कर हालचाल जाना। व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने का काम किया और नया फीडबैक लेकर उस पर आगे की योजना बना रहे है।
पिछले वर्ष दिसंबर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा किया था। हालांकि किसी को भी कोरोना की इतनी वीभत्स और जानलेवा दूसरी लहर की आशंका नहीं थी। फिर भी यूपी की नौकर शाही शुरू से ही इस मोर्चें पर सक्रिय थी। सहारनपुर के कमिश्नर के रूप में संजय कुमार ने अपने सहयोगी जिलाधिकारियों की टीम के साथ कोरोना की पहली लहर में शानदार ढंग से काम को अंजाम दिया था। उनके बाद आए मौजूदा कमिश्नर एवी राजमौलि ने इन पंक्तियों के लेखक सुरेंद्र सिंघल को बताया कि उन्होंने 102 वर्ष पहले कोरोना वायरस से भी घातक फैले स्पेनिश फ्लू का अध्ययन कर तय किया था कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ सकती है और इसी के साथ उन्होंने मंडल के तीनों जिलाधिकारियों अखिलेश सिंह (सहारनपुर),सेल्वा कुमारी जे (मुजफ्फरनगर) और जसजीत कौर (शामली) को तैयारियों के लिए निर्देशित किया था।
इसी वजह सेे सहारनपुर मंडल में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दूसरी लहर का ठीक से सामना कर सका। इसी माह 17 मई को योगी आदित्यनाथ ने मुजफ्फरनगर और सहारनपुर मंडल मुख्यालय का दौरा किया था। वह अपने मन के इन उदगारों को जाहिर करने से नहीं रोक पाए कि सहारनपुर मंडल का कामकाज संतोषजनक ही नहीं सराहनीय है और प्रदेश के दूसरे इलाकों में भी ऐसा ही काम होना चाहिए। सीएम योगी आदित्यनाथ के मुताबिक प्रदेश में कोरोना से ठीक होने वालो की दर 95.4 फीसद हो गई है। सक्रिय रोगी 58 हजार 270 है। 30 अप्रैल को तीन लाख 10 हजार 783 रोगी थे। 27 दिनों के भीतर संख्या में 81.6 फीसद की कमी आई है। सूबे में अब तक 16 लाख छह हजार 995 लोग स्वस्थ हो चुके है। करीब 20 हजार लोगों की मृत्यु हुई है। 24 घंटे के भीतर करीब सोढे तीन लाख नमूनों की जांच हो रही हैं।
एक जून से प्रदेश के सभी जिलों में 18 से 44 साल तक के लोगों को टीके लगेंगे और ऐसे लोगों को वरीयता दी जाएगी। जिनके यहां 12 साल तक के बच्चेें है। योगी ने कोरोना से लडाई में संक्रमितो की तलाश (ट्रेस) जांच (टेस्ट) और उपचार (ट्रीटमेंट) को हथियार बनाया है। सभी जनपदों में आक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई। अब जिलोें में संभावित तीसरी लहर के लिए 100 बैडों के वार्ड बनाने का काम तेजी से चल रहा है। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पिछले हफ्ते इन पंक्तियों के लेखक सुरेंद्र सिंघल का हालचाल जानने के दौरान बताया कि केरल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का मजबूत नेटवर्क है। वहां पर कोरोना संक्रमित उपचार के लिए सीएचसी पर ही जाते है।
केरल में बडे अस्पतालों और नर्सिग होम कोरोना संक्रमितों की प्राथमिकता में नहीं है। उत्तर प्रदेश में 1950 के दशक में सीएचसी और गांवों में पीएचसी बनाने पर ध्यान दिया गया था। लेकिन राज्य में चिकित्सकों और नर्सों और कुशल स्टाफकर्मियों की भारी किल्लत के चलते ज्यादातर पीएचसी, सीएचसी क्रियाशील नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायकों से अपेक्षा की है कि वे अपने क्षेत्र की पीएचसी और सीएचसी को क्रियाशील करे। प्रदेश के गांवों में फैले संक्रमण की रफ्तार धीमी पडी है। प्रधानों को शपथ दिलाकर उनकी अगुवाई मे निगरानी समितियां सक्रिय कर दी गई। गांवों में रोगियों की तलाश, जांच और उपचार के काम पर फोकस है। उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर 15 जून तक काबू में आ जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व के जो लोग सवाल खडे कर रहे है उन्हेें धैर्यपूर्वक वस्तु स्थिति को जानना चाहिए और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर भरोसा करना चाहिए कि वह इतना मूर्ख नहीं है कि योगी आदित्यनाथ को हटाकर अपने पैरों पर कुल्हाडी मारने की कहावत को चरितार्थ करेगा। यकीन रखिए योगी की अगुवाई में ही भाजपा फरवरी 2022 के चुनाव में जाएगी और सफल भी होगी।