राजधानी लखनऊ के नजदीक उन्नाव जनपद से एक झकझोर देने वाली खबर सामने आई है यहां पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने पुलिस को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है।
सभी को न्याय देने वाले न्यायाधीश महोदय का कहना है कि वह अपने न्यायालय परिसर में कोर्ट के डायस पर बैठे थे इसी बीच उन्नाव जनपद के कई बड़े वकील बार एसोसिएशन के कई वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों ने एकजुट होकर उनके ऊपर हमला कर दिया उनके साथ मारपीट और गाली गलौज की एडीजे साहब ने सौ डेढ़ सौ वकीलों के ऊपर योजनाबद्ध तरीके से एकजुट होकर हमला करने का आरोप लगाया है और यह भी कहा है कि उन्हें कोर्ट रूम में मारा पीटा गया बेइज्जत किया गया।
यह घटना हमारे देश की न्याय व्यवस्था के लिए बहुत शर्मनाक है न्यायधीश लोगों को न्याय देते हैं और खुद उनके कोर्ट रूम में ही यदि उनके साथ अन्याय होगा तो आम लोगों के लिए न्याय की कल्पना कैसे की जाएगीl एडीजे साहब ने पुलिस विभाग को प्रार्थना पत्र देकर पूरी घटना का विवरण बताया है और कानूनी कार्रवाई की मांग की है यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि देश में कानून के पालन की जिम्मेदारी सिर्फ कमजोर लोगों के लिए है।
कमजोर आदमी से कोई गलती हो तो उसे तुरंत कानून का पाठ पढ़ा दिया जाता है ताकतवर लोगों के ऊपर कानून को लागू करना सत्ता चलाने वालों के लिए मुश्किल काम हो जाता है उन पर तभी कार्रवाई होती है जब मामला मीडिया की सनसनी और टीआरपी को सूट करता हो या फिर सरकार की राजनीति को सूट करता हो बाकी बहुत से ऐसे मामले हैं जहां सब कुछ जानते हुए भी सिस्टम के सभी जिम्मेदार पहरेदार मौन हो जाते हैं।
अधिवक्ता समाज विद्वानों का समाज है लेकिन इस समाज में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अक्सर इस प्रतिष्ठित वर्ग की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगा देते हैंl यदि आप जज साहब की कार्यशैली से असंतुष्ट थे तो उनकी शिकायत कर सकते थे उनके विरूद्ध कानूनी प्रक्रिया में जाकर कार्यवाही की मांग कर सकते थे लेकिन स्वयं कानून के जानकार विद्वान होते हुए अधिवक्ता होते हुए न्यायालय के अंदर जज पर हमला करना समाज को क्या संदेश देगा यह भी सोचना होगा।
कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाली सरकार को यह सोचना होगा कि वह उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ऐसी प्रतिष्ठा अभी तक क्यो नहीं स्थापित कर पाए कि कोई भी व्यक्ति खुलेआम कानून व्यवस्था का मजाक ना बना सके।
फिलहाल उत्तर प्रदेश की सरकार और उन्नाव के पुलिस प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती है कि वह पीड़ित न्यायाधीश को न्याय दे सकें और जिन सैकड़ों अधिवक्ताओं पर आरोप लगा है उन पर कार्यवाही की हिम्मत दिखा सकें।