इस्लामाबाद। शिक्षा, अर्थव्यवस्था में पिछड़ चुके पाकिस्तान ने पहले ट्रांसजेंडर इस्लामिक स्कूल की शुरुआत की है। एलजीबीटी समुदाय की रानी खान बच्चों को कुरान का पाठ पढ़ाती हैं। उन्होंने यह मदरसा अपनी बचत के पैसे से खोली है जिसमें संख्या बढ़ती जा रहा है। एक मुस्लिम देश में यह मदरसा एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। पाकिस्तजान में ट्रांसजेंडर लोगों को उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। पाकिस्तान में इनके लिए आधिकारिक तौर पर धार्मिक स्कूलों या मस्जिदों में प्रार्थना करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसके बावजूद इन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें सीधे प्रवेश पाने में दिक्कत होती है। रानी खान ने बताया कि ज्यादातर परिवार ट्रांसजेंडर लोगों को स्वीकार नहीं करते हैं।
वे उन्हें अपने घरों से बाहर फेंक देते हैं। यही वजह है कि ट्रांसजेंडर लोग गलत रास्ते पर निकल पड़ते हैं। इस समुदाय को सबसे बड़ी परेशानी का सामना करना होता है। उन्होंने बताया कि एक समय में वह भी उनमें से एक थी, जिसे बार-बार उपेक्षित होना पड़ता था। नम आंखों से रानी खान ने याद किया कि कैसे वह 13 साल की उम्र में अपने परिवार से दूर हो गई। परिवार की उपेक्षा के बाद उसे भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ा। 17 साल की उम्र में वह एक ट्रांसजेंडर समूह में शामिल हो गई, जो शादियों और अन्य समारोहों में नाच रही थी। इन्हीं लोगों के बीच जिन्दगी शुरू हो गयी। अक्टूबर में दो कमरे वाले मदरसे को खोलने से पहले खान ने घर पर कुरान का अध्ययन किया। कुरान से सम्बंधित धार्मिक स्कूलों में भाग लिया। खान ने कहा कि मैं अल्लाह को खुश करने के लिए कुरान पढ़ाना चाहती हूं। इसके बाद खान ने बताया कि कैसे मदरसे ने ट्रांसजेंडर लोगों को इबादत करने, इस्लाम के बारे में जानने और पिछले कार्यों के लिए पश्चाताप करने के लिए जगह की पेशकश की। यह पेशकश बहुत ही प्यारी रही।
वह कहती हैं कि स्कूल को सरकार से सहायता नहीं मिली है, हालांकि कुछ अधिकारियों ने छात्रों को नौकरी खोजने में मदद करने का वादा किया है। निश्चित ही इससे सफलता मिलेगी। रानी खान अपने छात्रों को कपड़े बेचकर स्कूल के लिए धन जुटाने की उम्मीद में सिलाई और कढ़ाई करना सिखा रही हैं। विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना है।
पाकिस्तान की संसद ने 2018 में तीसरे लिंग को मान्यता दी। इस मौलिक अधिकार में वोट देने की क्षमता और आधिकारिक दस्तावेजों पर अपना लिंग चुनने का अधिकार दिया गया। इन उपलब्धियों के बाद भी पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर हाशिये पर हैं। अक्सर जीवन-यापन के लिए भीख, नृत्य और वेश्यावृत्ति का सहारा लेना पड़ता है।