विधानसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जी तोड़ मेहनत कर रही हैं. इस बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने केरल विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है. ये घोषणापत्र केरल के तिरुवनंतपुरम में जारी किया गया है.
इस घोषणापत्र को ‘‘पीपुल्स मेनिफेस्टो’’ के नाम से जारी किया ,जिसमें सभी सफेद कार्ड धारकों को पांच किलोग्राम चावल निशुल्क देने और गरीबों के लिए पांच लाख मकान बनाने का वादा किया गया है.
घोषणापत्र में यूडीएफ ने वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आए तो सबरीमाला के भगवान अयप्पा मंदिर की रक्षा के लिए एक विशेष कानून बनाएंगे और राजस्थान की तर्ज पर शांति और सौहार्द विभाग बनाएंगे.
वहीं सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की आयु सीमा में दो साल की छूट देने का वादा किया गया है. इसके साथ ही 40 से 60 साल की घरेलू महिलाओं को 2 हजार रुपए पेंशन के तौर पर हर महीने देने का वादा किया गया है. केरल में 140 सदस्यीय विधानसभा के लिए छह अप्रैल को मतदान होगा. वहीं केरल में कांग्रेस 92 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
1982 से ही केरल में एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) हर 5 साल के अंतराल के बाद सत्ता में वापसी करती आई है. हालांकि ये ट्रेंड सिर्फ केरल में नहीं रहा है, तमिलनाडु में भी 32 सालों तक दोनों मुख्य द्रविड पार्टियों के बीच सत्ता बदलती रही. 2016 के चुनाव में जयललिता के नेतृत्व वाली AIADMK ने लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल कर इस ट्रेंड को तोड़ा था.
इसी तरीके से राजस्थान में भी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी 1993 से 5 सालों के अंतराल पर सत्ता में आती रही है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल में दोनों नेतृत्व करने वाली पार्टियां कांग्रेस या सीपीआई(एम) का, तमिलनाडु या राजस्थान की तरह अकेला कोई राजनीतिक प्रभुत्व नहीं है. इसका सबसे बड़ा कारण केरल की बहुलतावादी संस्कृति और अलग-अलग इलाकों में विभिन्न राजनेताओं के लिए समर्थन का होना है.