सरकार ने दो शहरों में पेयजल किल्लत दूर करने के लिए दो बड़ी परियोजनाओं के लिए 390 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इससे देहरादून में जहां अगले 50 वर्षों तक पानी पानी की किल्लत नहीं होगी, वहीं हल्द्वानी को भी पानी मिलने के साथ ही 14 मेगावाट बिजली उत्पादन भी होगा।
वित्त मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को पेश किए बजट में जल संसाधन को लेकर अपना खाका रखा। उन्होंने बताया कि जमरानी पेयजल बहुद्देशीय परियोजना के लिए 1584 करोड़ 10 लाख रुपये को सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। इसके परियोजना के अंतर्गत गौला नदी पर हल्द्वानी शहर से 10 किलोमीटर ऊपर 136.60 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनाया जाना है।
इस परियोजना से प्रदेश में नौ हजार 458 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता का सृजन होगा, जबकि हल्द्वानी के लिए पेयजल उपलब्ध होने के साथ ही 14 मेगावाट बिजली उत्पादन भी होगा। यूपी और उत्तराखंड के बीच इस परियोजना को लेकर एमओयू साइन हो चुका है। इसके लिए बजट में 240 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। देहरादून में भी 50 वर्षों तक 150 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति के लिए सौंग पेयजल परियोजना का निर्माण चल रहा है। इसके लिए सरकार ने 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
रामगंगा नदी पर बांध को मिली स्वीकृति
गैरसैंण में पेयजल की आपूर्ति के लिए रामगंगा नदी पर बांध निर्माण को सभी आवश्यक स्वीकृतियां मिल गई हैं। जल्द ही बांध का निर्माण शुरू होने जा रहा है। गैरसैंण पेयजल योजना की विस्तृत कार्ययोजना (डीपीआर) गठित कर स्वीकृति की कार्रवाई चल रही है। प्रदेश में पानी के संरक्षण को लेकर बड़े स्तर पर जन जागरण अभियान के तहत रिस्पना व कोसी नदियों के क्षेत्र में व्यापक पौधरोपण किया गया है। देहरादून में सूर्यधार झील बन चुकी है। गैरसैंण, कोलीढेक, गगास, ल्वाली, थरकोट आदि झीलों पर भी काम चल रहा है।
जल जीवन मिशन के लिए 667 करोड़ 76 लाख
जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में वर्ष 2022 तक 14 लाख 61 हजार 910 परिवारों को पानी का कनेक्शन देते हुए 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी दिया जाना है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में तीन लाख 58 हजार कनेक्शन का लक्ष्य था, जिसके सापेक्ष फरवरी तक तीन लाख 96 हजार कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इस योजना के लिए सरकार ने 667 करोड़ 76 लाख रुपये का प्रावधान किया है। वहीं, देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में पेरी अर्बन योजना के अंतर्गत पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 22 योजनाएं स्वीकृत हैं।
इनमें से 12 योजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। 10 योजनाओं के टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए सरकार ने 328 करोड़ का प्रावधान किया है। नाबार्ड के अंतर्गत पेयजल योजनाओं के लिए 180 करोड़ का प्रावधान किया है। जबकि 38 नगरों को नगरीय मानकों के अनुरूप पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने एक हजार 258 करोड़ को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। वहीं हरिद्वार और ऋषिकेश को सीवरेज के लिए जर्मन विकास बैंक केएफडब्ल्यू द्वारा वित्त पोषित योजना के लिए 80 करोड़ का प्रावधान किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के लिए भी 101 करोड़ 31 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।