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भक्त का समर्पण भाव पूर्णकालिक होता हैतो उस पर संकट आने ही नहीं पाता -आचार्य रामजी पाण्डेय

विशेष संवाददाता सूरज सिंह बाराबंकी-भगवान भक्त के प्रत्येक संकट पर सहायता के लिए दौड़ पड़ते हैं लेकिन यदि भक्त का समर्पण भाव पूर्णकालिक होता हैतो उस पर संकट आने ही नहीं पाता ,चित्रकूट धाम से पधारे आचार्य राम जी पाण्डेय ने कथा के तीसरे दिन जरौली गांव में अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति से सभी को मंत्रमुग्ध किया,तीसरे दिन श्रीमद्भागवत महापुराण के आयोजन में उन्होंने आगे कहा कि आजामिल ने मोह बश अपने पुत्र का नाम नारायण रख दिया था अंतिम समय उसका पुत्र तो नहीं आया अपना नाम सुनकर भगवान ने की मदद और उसका उद्धार किया।

इसी तरह गजराज को‌‌ ग्राह ने जकड़ लिया तमाम सांकेतिक नामों से गजराज में प्रार्थना की लक्ष्मी जी ने कमल प्रदान किया और उस कमल का प्रार्थना में समावेश पाते ही भगवान ने गज को ग्राह मुक्ति दी।भगवान बावन के अवतार की चर्चा में आचार्य ने कहा कि,धन और वैभव धार्मिक अनुष्ठानों की होना चाहिए तामसी और अनाचारी पास धन यदि संचित हो जाता है तो भगवान उसे सात्विक कर्म के लिए आरक्षित कर लेते हैं. बावन भगवान ने राजा बलि के साथ वैसा ही किया लेकिन जो पग में सब कुछ नाप लेने के बाद तीसरा पांव उसके सर पर आशीर्वाद स्वरुप भी रख दिया जिससे राजा बलि आज भी प्रसिद्धि पर हैं. कार्यक्रम में माताफेर तिवारी,अशोक शुक्ल,विवेक शुक्ल, विपिन शुक्ल ने पूरी तत्परता से अपनी भागीदारी बनाए रखी।