भारत में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 11 करोड़ वृद्धजन हैं। अनुमान है कि 2050 तक देश की आबादी में करीब 20 फीसद बुजुर्ग होंगे। कोरोना संक्रमण के दौर में यह जरूरी है कि बुजुर्ग अपना ध्यान रखें साथ ही स्वजन भी बुजुर्गो के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें। वृद्धावस्था उम्र बढ़ने की एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें हमारे शरीर के विभिन्न अंगों के कार्य करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। लिहाजा यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इस अवस्था में डायबिटीज व उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां हो जाती हैं और यह बीमारियां अन्य बीमारियों के खतरे को बढ़ाती हैं।
वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियां और बचाव: भूलने की बीमारी (डिमेंशिया और डेलीरियम) यह बीमारी वृद्धावस्था में आम है। इसमें मस्तिष्क कमजोर होने के कारण ठीक से काम नहीं कर पाता है और भूलने की समस्या हो जाती है, जैसे खाना खाने के बाद यह भूल जाना कि खाना खा लिया है या नहीं। एक ही बात को बार-बार पूछना। रास्ता भूल जाना। नाम और चेहरा भूल जाना। दिन-रात का अंतर भूल जाना आदि। ये लक्षण दिखने पर चिकित्सक से परामर्श लें, क्योंकि सही देखरेख होने पर इन कमियों को ठीक किया जा सकता है या कम किया जा सकता है। परिवार के सदस्यों को इन बीमारियों से संबंधित आवश्यक बचाव भी समझाया जाता है ताकि गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों की देखरेख ठीक से की जा सके।
गिरने की समस्या: वृद्धावस्था में यह एक बड़ी समस्या है, जिसकी वजह से सिर में चोट लगना, सिर के अंदर खून बह जाना, कूल्हे या अन्य हिस्से की हड्डी टूटना आदि। कई वृद्धजन एक ही चश्मे में पढ़ने का और दूर देखने का लेंस लगवा लेते हैं। इसकी वजह से भी चलते समय गिरने की समस्या बढ़ सकती है। चलने-फिरने का अलग चश्मा रखने में समझदारी है। गिरने से बचने के अन्य प्रमुख उपाय हैं, जैसे बाथरूम या गीले स्थानों पर फिसलन रोधी सतह बनाना, टॉयलेट से उठने के स्थान पर दीवार में हैंडल लगवा देना, घर को प्रकाशयुक्त रखना। गिरने पर चिकित्सक की सलाह भी जरूरी है, क्योंकि गिरना केवल एक लक्षण है, जिसका कारण खोजकर उसका निवारण जरूरी है।