धरती पर सूर्यदेव को प्रत्यक्ष भगवान माना गया है। हर रविवार को सूर्यदेव की पूजा की जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्यदेव को जल चढ़ाने से मनुष्य को जीवन में सफलता, शांति और शक्ति की प्राप्ति होती है। सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है। इनसे ही पृथ्वी पर जीवन है। ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह की परिभाषा अलग होती है। कथाओं के अनुसार, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु नौ ग्रहों में गिने जाते हैं। सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के कार्य किए जाते हैं जिनमें सूर्य को अर्घ्य देना भी शामिल है।ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम भी प्रतिदिन सूर्य देव की आराधना करते थे। सूर्यदेव की पूजा करते समय व्यक्ति को मंत्रों का जाप करना चाहिए। साथ ही सूर्यदेव की स्तुति का पाठ भी करना चाहिए। भगवान सूर्यदेव की पूजा करने से उन्हें जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है। आइए पढ़ते हैं श्री सूर्य स्तुति।
।। श्री सूर्य स्तुति ।।
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।