राजस्थान में अजमेर में आज सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दर शानौ शौकत के साथ बसंत पेश किया गया। बसंत पेश करने का जुलूस निजाम गेट से शुरू हुआ जिसमें शाही चौकी के कव्वाल असरार हुसैन एवं उनके साथी सरसों सहित बसंती रंग के फूलों का गुलदस्ता हाथों में थामे चल रहे थे और अमीर खुसरो के बसंती कलाम पेश कर रहे थे। इस दौरान दरगाह दीवान के पुत्र नसीरुद्दीन और एवं लोग भी मौजूद रहे। सभी ने दरगाह के निजाम गेट से आहता-ए-नूर होकर मजार शरीफ पर पहुंचकर बसंत का गुलदस्ता पेश कर दुआ की।
वर्षों बाद ऐसा मौका आया है कि जब उर्स के दौरान बसंत पंचमी के मौके पर ख्वाजा के दर बसंत पेश किया गया। बसंत पेश किए जाने की परंपरा वर्षों पुरानी है क्योंकि ख्वाजा साहब को पीले एवं केसरिया फूलों से बेहद लगाव था, जिसके चलते इस परंपरा को अब भी निभाया जा रहा है। उर्स के मौके पर मिश्र की ओर से अजमेर दरगाह में चादर पेश राजस्थान में राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से आज अजमेर ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 809वें सालाना उर्स के मौके पर चादर पेश की गई।
मिश्र के सचिव सुबीर कुमार एवं परिसहाय हर्ष वर्द्धन अग्रवाल मखमली चादर लेकर दरगाह शरीफ पहुंचे और बड़ी अकीदत के साथ राज्यपाल की ओर से मजार शरीफ पर चादर पेश की। बाद में राज्यपाल का संदेश भी पढ़कर सुनाया गया। मिश्र ने संदेश में कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज भाईचारे एवं कौमी एकता के प्रतीक रहे हैं। उनकी शिक्षा मिलजुलकर रहने की सीख देती है। सभी को उनकी शिक्षा अपने जीवन में उतारनी चाहिए। राज्यपाल ने सभी को उर्स की मुबारकबाद भी दी।