उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों (UP Panchayat Elections 2021) की डुगडुगी बज चुकी है. बस तारीखों का एलान होना बाकी है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कुल 6 पदों पर जनप्रतिनिधियों को चुना जाना है. इनमें से 4 पदों के लिए तो आम जनता वोट दे पायेगी लेकिन, दो ऐसे पद हैं, जिस पर किसी जनप्रतिनिधि को जनता नहीं चुनेगी. यानी ये दो ऐसे पद हैं, जिसके लिए आप वोट नहीं डाल पायेंगे. ये पद हैं- ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष. आइये जानते हैं ऐसा क्यों?
पंचायत चुनाव को त्रिस्तरीय क्यों कहा जाता है?
सबसे पहले ये जानते हैं कि पंचायत चुनाव को त्रिस्तरीय क्यों कहा जाता है? ऐसा इसलिए क्योंकि पंचायती व्यवस्था में तीन स्तर होते हैं. सबसे पहला स्तर होता है गांवों को आधार बनाकर, फिर क्षेत्र पंचायत का यानी ब्लॉक लेवल का और तीसरा जिला स्तर का. तीनों ही स्तरों में दो-दो पदों के लिए चुनाव होता है. यानी कुल 6 पद. इनमें से 4 पदों पर चुनाव प्रत्यक्ष होता है. यानी इन पर जनता के द्वारा चुने प्रतिनिधि बैठते हैं जबकि दो पदों पर चुनाव अप्रत्यक्ष होता है. इन पर जनता के चुने हुए प्रतिनिधि अपना प्रतिनिधि चुनते हैं. बिल्कुल वैसे ही जैसे आम जनता विधानसभा के लिए विधायक चुनती है जबकि ऐसे विधायक विधानपरिषद के लिए विधायक चुनते हैं. ग्राम पंचायत स्तर के दोनों पदों पर जनता वोट देकर अपना नेता सीधे ही चुनती है. ये दोनों पद हैं ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के.
ये है पूरी प्रक्रिया
ब्लॉक और जिला लेवेल पर एक-एक पद के लिए जनता वोट देती है जबकि बाकी बचे दूसरे पद पर जनता के द्वारा चुनकर आये प्रतिनिधि चुनाव करते हैं. ब्लॉक लेवल पर क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला लेवेल पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव आम जनता करती है जबकि ब्लॉक प्रमुख का चुनाव क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जिला पंचायत सदस्य करते हैं. इसमें शर्त ये है कि ब्लॉक प्रमुख का चुनाव वही व्यक्ति लड़ पाता है, जो क्षेत्र पंचायत सदस्य के रूप में चुनकर आता है. इसी तरह जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी वही लड़ पाता है जो जिला पंचायत सदस्य के लिए जीत कर आता है. इस तरह ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर चुनाव आम जनता नहीं करती. इन दोनों पदों के लिए आप वोट नहीं दे सकते हैं.
पुलिस के लिए चुनौती होते हैं दोनों पदों के चुनाव
यही वजह है कि ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में काफी बवाल भी देखने को मिलता है. क्षेत्र पंचायत सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में करने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद का भरपूर इस्तेमाल देखा जाता रहा है. पुलिस और सरकार के लिए भी इन दो पदों के चुनाव काफी चुनौती भरे होते हैं.