हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का खास महत्व है. माघ मास में आनी वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते है. इस बार मौनी अमावस्या 11 फरवरी को पड़ रही है. साथ ही इस महीने में स्नान करने से पुण्य मिलता है. मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने से आपके सभी पाप धुल जाते है और दान करने का विशेष महत्व होता है.
मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. पुराणों के अनुसार, देवतागण इस पवित्र दिन पर संगम में निवास करते हैं. यही वजह है कि मौनी अमावस्या को गंगा स्नान करने का खास महत्व है.
मौनी अमावस्या पर बन रहा है महासंयोग
इस बार मौनी अमावस्या पर श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा और छह ग्रह मकर राशि में होने के कारण महसंयोग बना रहे हैं. इस शुभ योग को महोदय योग भी कहते है. इस दिन भगवान विष्णु और पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है.
मौनी अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
मौनी अमावस्या 10 फरवरी को रात में 01 बजकर 10 मिनट से शुरू हो जाएगी और 11 फरवरी को रात में 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इस खास दिन पर गंगा स्नान करने के बाद मौन व्रत का संकल्प अवश्य लें. इसके बाद भगवान विष्णु की पीले फूल, केसर, चंदन, घी का दीपक और प्रसाध से पूजन करें. साथ ही इस दिन विष्णु चालीसा या फिर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. इसके पश्चात किसी ब्राह्मण को दान भी दें. सायं काल में मंदिर में दीप दान करके आरती अवश्य करें और फिर भगवान विष्णु को मीठे पकवान का भोग लगाएं. इसके अगले दिन गाय को मीठी रोटी या हरा चारा खिलाकर ही व्रत खोलें.
मौनी अमावस्या व्रत
मौनी अमावस्या के दिन नदी, सरोवर या फिर किसी पवित्र कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्ध्य दें. व्रत करने के पश्चात जितना संभव हो सके मौन रहें. निर्धन और भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं. साथ ही वस्त्र, अनाज, आंवला, तिल, कंबल, घी और गौशाला में गाय के लिए भोजन अवश्य दान करें. जिस तरह दूसरी अमावस्या के दिन आप पितरों को याद करते हैं, वैसे ही मौनी अमावस्या पर भी पितरों को याद करें. इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिलता है.
मौन रहने का महत्व
इस दिन मौन रहने का चलन है. कहते हैं मौन धारण करने के बाद व्रत का समापन करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है. इस दिन मौन रखने का मतलब है मन को संयमित रखना. इससे आपका आत्मबल बढ़ जाता है.