आज देश भर में लोहड़ी (Lohri 2021) का त्यौहार मनाया जा रहा है। ये त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस त्यौहार को हरियाँ और पंजाब में इसे खूब धूम-धाम से मनाते हैं। इस दिन आग में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाने का रिवाज है। ये त्योहार किसानों का नया साल भी माना जाता है। इस त्यौहार पर एक मान्यता है कि सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत भी यह त्यौहार देता है। लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है।
यह त्योहार फसल की कटाई और बुआई के के लिए मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन लोग अलाव जलाकर इसके चारों तरफ नाचते-गाते और खुशियां मनाते हैं। उसी आग में गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक डाला जाता है जिसके बाद इसे एक-दूसरे में बांटा जाता है। साथ ही पॉपकॉर्न और तिल के लड्डू भी बांटे जाते हैं।लोहड़ी में फसल काटने के दौरान ही इस खुशी का जश्न मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन रबी की फसल को आग में समर्पित कर सूर्य देव और अग्नि का आभार प्रकट किया जाता है। साथ ही फसल की उन्नति की कामना भी की जाती है।
लोहड़ी के दिन आग जलाकर उसके चारों तरफ नाचते गाते हैं। इस दिन आग के पास बैठकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है। इस कहानी के सुनने का खास महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि मुगल काल में अकबर के वक्त में दुल्ला भट्टी नाम का एक व्यक्ति पंजाब में रहता था। उस वक्त कुछ अमीर व्यापारी सामान के स्थान पर शहर की लड़कियों को बेच दिया करते थे। तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी। तभी से लोहड़ी के त्यौहार पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है।