हिंदी चीनी भाई भाई से नेहरू जी ने धोखा खाया जिसके चलते पुरे देश को नुक्सान उठाना पड़ा था, उसके पहले चीन भारत से शत्रुता न रखे इसलिए तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया था उन्होंने. दमनकारी चीन ने तब वंहा उत्पात मचाया और दलाई लामा समेत हजारो लोग भारत शरण के लिए आये.
भारत ने उन्हें शरण दी और आज भी वो शरणार्थी है, ऐसे ही बांग्लादेश की आजादी के समय में पाकिस्तान ने वंहा लाखो लोगो का नरसंहार शुरू किया तो उनको भी भारत ने शरण दी. हालाँकि शरणार्थी और घुसपैठियों में फर्क होता है जो जबरन गैर क़ानूनी ढंग से घुस आये वो घुसपैठिये कहलाते है.
शरणार्तियों को शरण देना भारत की परम्परा रही है और उन्हें मरने के लिए छोड़ना बहुत बड़ा पाप है, खुद रामायण में इसको पाप बताया है.
“सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि। ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकत हानि॥”
जाने क्या कहती है रामायण शरणार्थी धर्म के बारे में….
रावण के दादा पुलस्त ने अपना दूत विभीषण को भेजा और उन्हें रावण को ये समझाने कहा की राम कोई मनुष्य राजा नहीं बल्कि त्रिलोकी के स्वामी साक्षात् विष्णु है. लेकिन सीता को लौटा दो राम जी की शरण में चलते जाओ ये बात जब विभीषण ने रावण को कही तो वो विभीषण को जलील करने लगा और अंत में लातो से मारने लगा और राम के पास ही जाने को कहा.
विषीभण तब राम जी की शरण में गए जंहा उन्होंने अपने अनुचरो से सलाह करि जो विभीषण को कैद करने के पक्ष में थे लेकिन राम जी ने तब कहा…”कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू। आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू॥” शरण में आये को त्यागने पर एक करोड़ ब्राह्मणो की ह्त्या का पाप लगता है.
अगर विभीषण भय से आये है तो उनकी प्राण की रक्षा हमारा धर्म है, इसलिए अगर कोई आपकी शरण में आ जाए तो उसकी रक्षा के लिए जान लड़ा दे….