जल्द ही भारत की जनता को बुलेट ट्रेन (Bullet Train) में सफर करने का मौका मिलेगा। अब जनता हवाई जहाज की सुविधा बुलेट ट्रेन में पाएगी और जल्द ही अपने मंजिल पर पहुंच जाएगी। इस बुलेट ट्रेन को दिल्ली से वाराणसी (Delhi to Varanasi Bullet Train) तक चलाया जाएगा। आज से इस परियोजना का हवाई सर्वे शुरू हुआ है। यह सर्वेक्षण Light Detection and Ranging Survey (LiDAR) तकनीक के जरिए किया जा रहा है। दिल्ली से वाराणसी के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन के लिए हाई स्पीड रेलवे कोरिडोर का सर्वे किया जाएगा। ये सर्वे LiDAR तकनीक के इस्तेमाल से किया जाएगा।
बता दें कि, LiDAR एक बेहद एडवांस तकनीक है। जिसमें एक हेलीकॉप्टर के ऊपर लेजर से लैस उपकरण लगे होते हैं, जिसके जरिए जमीन पर मौजूद हर एक चीज का डिटेल में निकाला जा सकता है। इसी एडवांस तकनीक का इस्तेमाल मुंबई-अहमदाबाद रेल कॉरिडोर के सर्वे के लिए किया जा चुका है। इस तकनीक में लेजर डाटा, GPS डाटा, फ्लाइट पैरामीटर और वास्तविक फोटोग्राफ भी मिलते हैं, जिसकी वजह से डाटा बिल्कुल सटीक होते हैं।
इसी तकनीक का इस्तेमाल अब बुलेट ट्रेन के लिए किया जाएगा। इसकी मदद से हाई स्पीड कोरिडोर की लंबाई, चौड़ाई, अलाइनमेंट, स्टेशन, डिपो, जमीन की जरूरत वगैरह का बिल्कुल सही सही खाका तैयार होता है। इससे प्रोजेक्ट डिजाइन करना भी आसान हो जाता है। इससे मालूम पड़ जाता है कि रास्ते कैसे हैं, कहां गड्ढे हैं, कहां ऊंचाई है, कहां नदी नाले हैं?
यही नहीं, रास्तों में कितनी इमारते हैं, कितनी बस्तियां -झुग्गियां हैं, ये सभी जानकारी LiDAR तकनीक से पता लगाया जा सकता है। इस तकनीक से ज्यादा समय भी नहीं लगता है। महज 3 महीने में दिल्ली से वाराणसी के बीच की सभी जानकारियां जुटाई जा सकती है। इसका सर्वे का काम भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने नेशनल हाईस्पीड को-ऑपरेशन लिमिटेड (NHRCL) को दिया है।