बच्चे के मुंडन के आमंत्रण पत्र तो आपने खूब देखे होंगे और कई दावतें भी खाई होंगी, लेकिन अगर यह आमंत्रण किसी भैंस के मुंडन का हो तो आप चौंके बिना नहीं रह सकते। ऐसा ही एक चौंकाने वाला समारोह कराया गया संभल के एक किसान द्वारा। गुन्नौर में किसान ने अपनी भैंस और बछड़े का गंगा घाट पर समारोह पूर्वक विधि विधान से मुंडन कराया। इतना ही नहीं मुंडन के बाद करीब 500 लोगों को दावत भी दी। इसके लिए बीते कई दिनों से कार्ड भी बांटे जा रहे थे। इलाके में भैंस का यह मुंडन समारोह हर किसी की जुबां पर है।
गुन्नौर के नंदरौली निवासी किसान नेम सिंह ने बताया कि उसके घर में न जाने किसका श्राप लगा है कि भैंस के बछड़े पैदा होने के बाद मर जाते हैं। काफी समय से वह इसे लेकर परेशान था। कुछ दिन पहले घर आए एक साधु से भी उसने अपनी परेशानी सांझा की। साधु ने कहा कि इस बार भैंस का बछड़ा पैदा होने पर भैंस और बछड़े का मुंडन संस्कार गंगा तट पर बच्चे की तरह कराने से बछड़े की मौत नहीं होगी।
इसके बाद से ही नेम सिंह मुंडन समारोह की तैयारी में जुट गया। इसके लिए बाकायदा कार्ड छपवाए गए। सभी रिश्तेदारों के साथ ही आसपास के गांवों में कार्ड बांटकर लोगों को सवेरे 8 बजे गंगा किनारे राजघाट पर मुंडन और 12 बजे दावत के लिए आमंत्रित किया गया। लोग भैंस के मुंडन की दावत की बात सुनकर चौंके तो लेकिन मुंडन में करीब 100 लोग और दावत में 500 से अधिक लोग पहुंचे। इन दिनों आसपास के इलाके में इसी समारोह और दावत की चर्चा है।
राजघाट गंगा तट पर सवेरे एक परिवार के साथ बड़ी संख्या में लोग भैंस और बछड़े के साथ पहुंचे तो लोग चौंक गए। जब लोगों को पता चला कि आज भैंस और बछड़े का मुंडन होना है तो लोगों की भीड़ जुट गई। भैंस का मुंडन करने के लिए मोटी रकम देकर एक नाई को तैयार किया गया और फिर विधि विधान से मुंडन शुरू हुआ। इस दौरान परिवार की महिलाओं ने बच्चों के मुंडन के समय गाए जाने वाले गीत भी गाए। नाई ने पहले भैंस और फिर उसके बछड़े का मुंडन किया। इसके बाद दोनों को गंगा में स्नान कराया गया। गंगा घाट पर मौजूद लोग इस नजारे को देखकर हैरत में दिखे। राजघाट गंगा तट पर बच्चों का मुंडन कराने की पुरानी परम्परा है, लेकिन यह पहला मौका था जब कोई अपने बच्चे का नहीं बल्कि भैंस और बछड़े का मुंडन करा रहा था।