सरकार ने प्याज की जमाखोरी रोकने तथा इसके मूल्य को नियंत्रित करने के लिए तुरंत प्रभाव से भंडारण सीमा निर्धारित कर दी है। उपभोक्ता मामलों की सचिव लीमा नंदन ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्याज के थोक विक्रेताओं के लिए भंडारण सीमा 25 टन और खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा दो टन निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ माह से प्याज की कीमतें बढ रही थी। भंडारण सीमा निर्धारित किये जाने से प्याज की जमाखोरी करने वाले के साथ आवश्यक कार्रवाई की जा सकेगी। उल्लेखनीय है कि कुछ स्थानों पर प्याज का खुदरा मूल्य करीब 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि प्याज के मूल्य को नियंत्रित करने के लिए इसका निर्यात रोक दिया गया और इसका आयात करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही प्याज के एक लाख टन के बफर स्टाक से राज्यों को उनकी मांग के हिसाब से इसकी आपूर्ति की जा रही है। राज्यों को 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज दिया जा रहा है। बफर स्टाक में अब भी करीब 25 हजार टन प्याज बचा है। केरल और असम को बफर स्टाक से प्याज की आपूर्ति की गई है। इसके अलावा तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश और तेलंगना ने भी प्याज की मांग की है।
उन्होंने बताया कि इस बार भारी वर्षा से कुछ स्थानों में प्याज की खरीफ फसल को नुकसान हुआ है जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्याज की पैदावार में कमी आयी है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में 43 लाख टन प्याज उत्पादन का अनुमान था जो घटकर 37 लाख टन हो गया है। उपभोक्ता मामलों की सचिव ने कहा कि पिछले दस साल के दौरान प्याज का उत्पादन 150 लाख टन से बढकर 261 लाख टन हो गया है। वर्ष 2019-20 के दौरान रिकार्ड 261 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ था। इस वर्ष करीब 15 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया है । अब एमएमटीसी और कुछ निजी कम्पनियां प्याज आयात करने की प्रक्रिया में है।