बिहार में चुनावी मौसम चरम पर है। एक तरफ बीजेपी नीतीश कुमार के सहारे जमकर रैलियां कर रही है। तो वहीं, विपक्ष भी नीतीश कुमार को हराने के लिए जनता से कई बड़े वादे कर रहा है। इस दौरान तमाम पार्टियां बिहार की जनता को अनगिनत सपने दिखा रही है और आने वाले पांच साल की मांग कर रही है लेकिन बिहार की जनता किसे राज्य की सत्ता पर बैठाएगी? क्या है बिहार की जनता के मन में? इन तमाम सवालों के बीच अब बिहार के ओपिनियन पोल भी सामने आने लगे है। CSDS-लोकनीति का ओपिनियन पोल सामने आ गया है। जिसमें बिहार की जनता की राय बताई गई है। इस ओपिनियन पोल के मुताबिक बिहार की जनता नीतीश कुमार को एक बार फिर मौका दे सकती है।
सबसे आगे नीतीश कुमार
इस ओपिनियन के मुताबिक, नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन को 38 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। वहीं, तेजस्वी यादव के महागठबंधन को 32 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। 6 दलों वाले गठबंधन ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट (GDSF) को 7 प्रतिशत, जबकि चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी को 6 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। इस ओपिनियन पोल से साफ लग रहा है कि इस विधानसभा चुनाव में एनडीए को कोई भी खतरा नहीं है। नीतीश कुमार चुनावी रेस में सबसे आगे चल रहे है। वहीं, एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रही चिराग पासवान की पार्टी लोजपा सबसे नीचे है।
एनडीए को मिले सबसे ज्यादा वोट
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर आए ओपिनियन पोल को वोट शेयर में बदला जाए। तो नीतीश कुमार बहुमत हासिल करते नजर आ रहे है। एनडीए को कुल 245 विधानसभा सीटों में से 133 से 143 सीट मिल सकती है। वहीं, तेजस्वी यादव के महागठबंधन को 88 से 98 सीटें मिल सकती है। इसके अलावा चिराग पासवान की पार्टी महज 2 से 6 सीटों पर सिमट सकती है। बता दें कि बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है। जो नीतीश कुमार पार करते हुए नजर आ रहे है।
नीतीश कुमार की सबसे बड़ी चुनौती
इस ओपिनियन पोल से साफ जानकारी मिली है कि नीतीश कुमार बिहार के फिर से मुख्यमंत्री बन सकते है लेकिन इसी ओपिनियन पोल में नीतीश कुमार की चुनौतियों के बारे में भी बताया गया है। जो उन्हें झेलने पड़ रही है। वो चुनौती है पॉपुलैरिटी की। नीतीश कुमार आज भी बिहार के सबसे बड़े नेता है लेकिन इसके बावजूद उनकी लोकप्रियता कम हई है। साल 2015 में 80 प्रतिशत लोग नीतीश कुमार के कामकाज से खुश थे लेकिन साल 2020 में इस ओपिनयिम पोल में 52 प्रतिशत की गिरावट देखाई गई है। साल 2020 में महज 44 प्रतिशत ऐसे लोग है। जो नीतीश कुमार के काम से संतुष्ट है। जिससे साफ है कि लोग नीतीश कुमार के काम के ज्यादा पसंद नहीं कर रहे।
तेजस्वी की बड़ी लोकप्रियता
वही, दूसरी तरफ नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती तेजस्वी बनकर खड़े है। जहां एक तरफ नीतीश कुमार की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है। तो वहीं, बिहार में तेजस्वी यादव की पॉपुलैरिटी आसमान छू रही है। बिहार की 27 फीसदी लोगों का मानना है कि तेजस्वी राज्य के एक अच्छे मुख्यमंत्री बन सकते है। तो वहीं, महज 31 फीसदी लोगों का मानन है कि नीतीश कुमार बेहतर सीएम होंगे। इन दोनों नेताओं के बीच कम अंतर है। जो नीतीश कुमार के लिए भारी साबित हो सकता है। वहीं, इस रेस में चिराग पासवान, सुशील मोदी अन्य दूसरे नेता दूर-दूर तक नहीं हैं।
विकास और बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
CSDS-लोकनीति के ओपिनियन पोल के मुताबिक, बिहार में चुनावी मुद्दे बिल्कुल साफ है। यहां पर राजनीतिक पार्टियां विकास और बेरोजगारी के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतरी है। तो वहीं, जनता की भी अपने मुख्यमंत्री से यही मांग है। 29 फीसदी लोगों ने विकास को प्रदेश का चुनावी मुद्दा बताया है। वहीं, 20 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। इसके बाद महंगाई, गरीबी और शिक्षा नेताओं के एजेंडा लिस्ट में शामिल है। बेरोजगारी और विकास के मुद्दे पर नीतीश कुमार विपक्ष के निशाने पर है। नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से वादा किया था कि वह राज्य में 10 लाख युवाओं को नौकरी देंगे। जिस वजह से नीतीश कुमार अब तेजस्वी यादव के निशाने पर है।
बता दें कि लोकनीती-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल बिहार की 37 विधानसभा सीटों पर हुआ है। यहां पर 148 बूथों को कवर किया गया है। जिसमें 3731 लोगों से बात की गई। इन लोगों से 10 से 17 अक्टूबर के बीच बिहार की चुनावी मुद्दें से लेकर उनके नेता और मुख्यमंत्री पर कई सवाल किए गए। इस ओपिनियन पोल में हर उम्र और हर वर्ग के लोगों को शामिल किया गया।