बाल कटवाना आम प्रक्रिया है और ज्यादातर महिलाएं कई बार सलून में जा कर बाल कटवा चुकी हैं, लेकिन यह कहानी थोड़ी अलग लेकिन दिलचस्प है। दक्षिण भारत में यादगिरीगट्टा मंदिर है। यहां कई महिलाएं अपने बाल उतरवाती हैं। इनमें से ज्यादातर औरतों ने ना कभी बाल कलर किए हैं और न तो कभी कटवाया है। ये सभी भगवान विष्णु को अपने बाल अर्पित करती है।
दक्षिण भारत की महिलाएं अपने सिर पर शैंपू का इस्तेमाल काफी कम करती हैं, इसलिए इनके बाल कम डैमेज होते हैं। यही वजह है कि कटने के बाद इन बालों की मांग काफी अच्छी होती है। वहीं हमेशा नारियल तेल लगाने के कारण ये काले भी होते हैं इसलिए कटने के बाद इन्हें ब्लीच करना भी आसान होता है।
इन बालों की डिमांड सबसे ज्याद ब्रिटेन के पार्लरों में होती है। इसके अलावा एक मंदिर है तिरुमाला वहां इन कटे बालों से हर साल 22 मिलियन डॉलर की कमाई होती है। इन पैसों से अस्पताल और स्कूल बनाए जाते हैं और उनका रखरखाव होता है।
ये भी कहा जाता है कि इस पूरे कार्य में बाल माफिया काफी सक्रिय है। वह गरीबों को बहला फुसलाकर यहां बाल दान करवाते है। कई बार कुछ पैसों के लालच में तो कभी पति के दबाव में, कभी भगवान का डर दिखाकर महिलाओं को यहां बाल देने को विवश किया जाता है। जानकार बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में 25 इंच लंबे डार्क ब्राउन बाल 38 पाउंड में बेचे जाते हैं, जबकि इतने लंबे ब्राउन बाल 45 पांउड में बिकते है।