कल तक भारत को युद्ध की धमकी देने वाले ड्रैगन की नौबत आज भारत से इल्तिजा करने तक की आ गई है। वो मुल्क.. जो पहले कभी भारत अंजाम भुगतने की धमकी देता था तो कभी सबक सिखाने की धमकी देता था, तो कभी इतिहास में ले जाकर 1962 की तारीख याद दिलाया करता था, लेकिन आज वक्त की मार से चोटिल हो चुके ड्रैगन को भारत की चौखट पर अनुनय-विनय करने के लिए बाध्य होना पड़ा। इसकी बनागी हमें तब दिखने को मिली, जब शंघाई सहयोग संगठन में शिरकत करने रूस की राजधानी मास्को पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुखातिब होने की तत्परता के परिणामस्वरूप चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगे राजनाथ सिंह से मुखातिब होने उनके होटल तक पहुंच गए। मकसद था.. बस कैसे भी करके राजनाथ सिंह मुलाकात हो जाए।
खैर, हर भारतीय की फितरत रही है कि वो किसी को खफा नहीं करते। देर सवेर ही सही लेकिन चीनी रक्षा मंत्री से मुखातिब हुए राजनाथ सिंह। अब ऐसे में जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव का आलम है। जिस तरह चीन भारत को अनवरत युद्ध धमकी दे रहा है। 1962 का राग अलाप रहा है। इन सबको मद्देनजर रखते हुए दोनों समकक्षों के बीच अपेक्षा थी कि बहस गर्मागर्म होगी। इस बीच राजनाथ सिंह ने कई मसलों को लेकर बेबाकी से अपनी रखी। हालांकि इस बात पर अभी तक पूर्णत: जानकारी नहीं मिल पाई है कि दोनों नेताओं के बीच किन-किन मसलों को लेकर वार्ता हुई है।
जब दोनों ही नेता आपस में मेज पर बैठे थे तो चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगे ने कहा कि वे पिछले तीन माह से आपसे मिलने के लिए बेकरार हैं। लिहाजा तीन मर्तबा आपसे मुखातिब होने के वास्ते अनुरोध किया जा चुका है। खैर, देर से ही भले लेकिन चीनी रक्षा मंत्री की आज यह मुराद मुकम्मल हो गई। उधर, अगर कूटनीतिक विशेषज्ञों की राय पर गौर फरमाएं तो गत दिनों जिस तरह से पैंगोंग त्सो पर तनाव देखने को मिला है, उसे ध्यान में रखते हुए वार्ता के इतर और कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं है। उधर, भारत अपनी संप्रभुता को महफूज रखने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। इस दौरान राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री को सलाह देते हुए कहा कि उसे भारत के साथ शांति और स्थायित्व लाना होगा। उधर, चीन को ऐसा व्यवहार करना होगा, जिससे दोनों देशों के सैनिकों के बीच मतभेद पैदा न हो।