आज समस्त देश में बड़े ही हर्षों-उल्लास के साथ सभी लोग भगवान कृष्ण का जन्मदिन मना रहे हैं। इस दिन लोग कृष्ण के प्रेम का बखान करते हुए नजर आ रहे हैं। उनके प्रेम में लोग भाव विभोर होते हुए नजर आ रहे हैं। श्रद्धालुगण उनके प्रेम की अनुभूति को प्राप्त करने की चेष्टा कर रहे हैं। समस्त देश में उनके धूमधाम की चमक देखने को मिल रही है, लेकिन जब पूरे देश में कान्हा का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है, तो इस मौके पर आज हम आपको उस दरगाह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर एकता की अद्भुद मिलास देखने को मिलती है। यहां पर हिंदू-मुस्लिम दोनों ही श्रद्धालु एकसाथ मिलकर भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। आइए इस दरगाह के बारे में कुछ खास और अदभुद बातों को जानने की चेष्टा करते हैं।
आखिर कहां पर है ऐसा दरगाह
आखिर ऐसा दरगाह कहां पर है, जहां पर चाहे हिंदू हो या मुस्लिम सभी धर्मों के लोग आकर भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं तो आपको बता दें कि यह दरगाह राजस्थान के झूंझन जिले के नरहड़ कस्बे में है, जहां पर कन्हैया की खुशी में जन्मदिन पर न महज खुशियां मनाई जाती है बल्कि सूफी गीत भी गाए जाते हैं। इस दरगाह में कन्हैया की महिमा गाने न महज हिंदू अपितु मुस्लिम भक्तगण भी आते हैं। अपनी इसी अनुपमता के लिए यह चौतरफा विख्यात हैं।
अनेकता में एकता की गजब मिसाल
अब अनेकता में एकता की गजब मिसाल पेश करने वाला यह दरगाह अपने आप में अनुपम और खास है। यहां हिंदू से लेकर मुस्लिम भक्तगण बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए आते हैं। सभी धर्म के लोग यहां पर आकर यहां भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। हो सकता है कि आपको यह जानकर हैरानी हो रही हो कि हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोग यहां पर आकर भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं, मगर यह एक सच्चाई है, जिसे आपको स्वीकार करना होगा।
होता है, तीनों दिनों के मेले का आयोजन
यह दरगाह शकरबार शाह का है। यहां पर भगवान कृष्ण के जन्मदिवस के अवसर पर तीन दिनों के मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दोनों ही धर्मों के लोग शामिल होते हैं। हालांकि अब यह परंपरा कब से चली आ रही है। यह कहना तो मुश्किल है, लेकिन इस मेले में शिरकत करने के लिए सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं।
हिंदू हो चाहे मुस्लिम, सभी गाते हैं झूम झूम कर
अब चाहे इस मेले में आने वाला शख्स हिंदू हो या फिर मुस्लिम हो। सभी भगवान कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर इस कदर कन्हैया की लीला में डूब जाते हैं कि सभी बहुत झूम झूम कर नाचते गाते हैं। यह मेला तीन दिनों तक लगता है।